भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में संविधान पर चल रही बहस के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा वीर सावरकर पर की गई टिप्पणी का कड़ा विरोध किया. शाह ने कांग्रेस नेता के बयान का उत्तर देते हुए सावरकर के बारे में कहा कि कोई राजनीतिक दल या चुनी हुई सरकार उन्हें 'वीर' का उपनाम नहीं दिया, बल्कि यह उपाधि उन्हें देश के 140 करोड़ लोगों ने उनकी "बहादुरी" के लिए दी है.
शाह का यह बयान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के 14 दिसंबर को लोकसभा में दिए गए भाषण पर प्रतिक्रिया था, जिसमें राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर सावरकर के विचारों का बचाव करने का आरोप लगाया था. राहुल गांधी ने कहा था कि जब बीजेपी संविधान की रक्षा की बात करती है, तो वह वीर सावरकर का अपमान कर रही है और उनका मजाक उड़ा रही है.
राहुल गांधी की टिप्पणी पर अमित शाह की तीखी प्रतिक्रिया
राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा था, "आप बीजेपी के नेता से यह सवाल करना चाहते हैं कि क्या आप उनके शब्दों से सहमत हैं? जब आप संसद में संविधान की रक्षा की बात करते हैं, तो आप सावरकर का अपमान कर रहे हैं, आप उन्हें गालियां दे रहे हैं, और आप सावरकर का नाम बदनाम कर रहे हैं." गांधी ने सावरकर के संविधान पर विचारों का हवाला देते हुए यह भी कहा कि सावरकर ने भारतीय संविधान को "भारतीय" नहीं माना और उन्होंने मनुस्मृति को भारतीय संस्कृति और परंपरा का आधार बताया.
HM Shri @AmitShah ji exposed the hypocrisy of Congress by highlighting how even Former PM Indira Gandhi praised Veer Savarkar, yet today the party shamelessly abuses the great freedom fighter.#AmitShahInRajyaSabha pic.twitter.com/9kpgktuOIG
— Tulla Veerender Goud (@TVG_BJP) December 17, 2024
इस पर अमित शाह ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में 1857 से 1947 तक वीर सावरकर के अलावा कोई अन्य व्यक्ति ऐसा नहीं था जिसे एक ही जीवन में दो बार काला पानी की सजा दी गई हो. उन्होंने यह भी कहा कि सावरकर ने देश की स्वतंत्रता के लिए समुद्र में कूदने जैसा साहस दिखाया और ऐसे उदाहरण देश में कहीं और नहीं मिलते.
वीर सावरकर और उनका अद्वितीय बलिदान
अमित शाह ने अपने भाषण में सावरकर के अद्वितीय साहस और बलिदान को लेकर कहा, "अगर कोई इस देश की स्वतंत्रता के लिए समुद्र में कूदने का साहस रखता था, तो वह वीर सावरकर थे. वही सावरकर थे, जिन्होंने काला पानी की सजा काटी और दस वर्षों तक अपने भाई से भी नहीं मिल पाए. ऐसे साहसी परिवार का कोई दूसरा उदाहरण देश में नहीं मिलता." शाह का यह बयान सावरकर के परिवार की वीरता और संघर्ष को उजागर करने के उद्देश्य से था.
पेट्रियोटिज़्म और धार्मिकता पर सवाल
अमित शाह ने यह भी सवाल किया कि क्या देशभक्ति को किसी खास विचारधारा से जोड़ा जा सकता है या क्या राष्ट्र के लिए किए गए बलिदान को किसी खास धर्म से जोड़ना जरूरी है? उन्होंने इस मुद्दे पर गंभीर सवाल उठाया, यह पूछते हुए कि हम सार्वजनिक जीवन में किस हद तक जा रहे हैं.
इंदिरा गांधी ने भी किया था सावरकर की सराहना
इसके अलावा, शाह ने कांग्रेस पार्टी से यह आग्रह किया कि वह कम से कम अपनी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की बात तो सुनें, जिन्होंने वीर सावरकर की सराहना की थी. शाह ने कहा, "1966 में इंदिरा गांधी ने कहा था कि सावरकर एक महान व्यक्ति थे. उनका नाम साहस और देशभक्ति का प्रतीक बन चुका था. वह एक महान क्रांतिकारी थे जिन्होंने अनगिनत लोगों को प्रेरित किया."
उन्होंने यह भी बताया कि इंदिरा गांधी ने सावरकर की ब्रिटिश शासन के खिलाफ वीरतापूर्ण प्रतिरोध की सराहना की थी और इसे भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण स्थान दिया था.
संविधान पर बहस का समापन
अमित शाह का यह बयान राज्यसभा में संविधान पर बहस के समापन पर आया. शाह ने इस दौरान कांग्रेस और अन्य विपक्षी नेताओं से आग्रह किया कि वे सावरकर की भूमिका को सम्मानित करें और उनकी विरासत को लेकर राजनीति करना बंद करें. उनका यह भाषण वीर सावरकर के योगदान और बलिदान को सम्मानित करने के लिए था, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अविस्मरणीय भूमिका निभाई थी.