सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सोमवार को जस्टिस यशवंत वर्मा की इलाहाबाद हाई कोर्ट में वापसी की सिफारिश की. इस फैसले को औपचारिक रूप देने के लिए कॉलेजियम ने एक प्रस्ताव सरकार को भेजा है, जिस पर अंतिम निर्णय आने वाले दिनों में अपेक्षित है. यह कदम इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के विरोध प्रदर्शनों के बीच उठाया गया है.
कॉलेजियम का प्रस्ताव और पृष्ठभूमि
क्या था विवाद
यह निर्णय जस्टिस वर्मा के आवास पर 14 मार्च को हुई आग की घटना के बाद आया है. इस घटना के दौरान उनके घर से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी, जिसने विवाद को जन्म दिया. जस्टिस वर्मा ने इस कैश से किसी भी संबंध से इनकार किया है. उन्होंने कहा, "न तो मेरे पास और न ही मेरे परिवार के पास यह नकदी है." उनका दावा है कि यह घटना उनकी छवि को धूमिल करने की साजिश का हिस्सा है. इस बयान ने मामले को और जटिल बना दिया है.
आगे की प्रक्रिया
कॉलेजियम की सिफारिश के बाद अब सभी की निगाहें सरकार के फैसले पर टिकी हैं. यह मामला न केवल जस्टिस वर्मा के भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि न्यायिक स्थानांतरण और पारदर्शिता जैसे मुद्दों पर भी चर्चा को बढ़ावा देगा. आने वाले दिनों में इस पर अंतिम मुहर लगने की उम्मीद है.