इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आवास पर आग लगने की घटना के बाद कथित तौर पर 15 करोड़ रुपये का कैश पाए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा उनके स्थानांतरण का कड़ा विरोध जताया है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस यशवंत वर्मा के प्रत्यावर्तन पर कड़ी आपत्ति जताते हुए बार एसोसिएशन ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और अन्य न्यायाधीशों को लिखे पत्र में कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट कोई "कचरादान" नहीं है और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा नियुक्ति प्रक्रिया पर चिंता जताई. जिससे "न्यायपालिका में जनता के विश्वास" को नुकसान पहुंचा है.
बार एसोसिएशन का कड़ा विरोध
इस दौरान वकीलों के ग्रुप ने एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा, "आज हम यह जानकर आश्चर्यचकित हैं कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार में संलिप्तता के आधार पर माननीय जस्टिस यशवंत वर्मा को वापस इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया है. दरअसल, उनके बंगले में फायर बिग्रेड द्वारा 15 करोड़ रुपये का कैश पाया गया था. समाचार पत्रों ने इस तथ्य को पहले पन्ने पर छापा है.
नोटों की गड्डी वाले जज साहब को लीपापोती करने के लिए वापिस इलाहाबाद हाइकोर्ट तो भेज दिया गया। लेकिन अब इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम से पूछा है कि क्या हम "डस्ट बिन" हैं..?? pic.twitter.com/DNxI4sFhHq
— Ajay Jha (@Ajay_reporter) March 21, 2025
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की नियुक्ति प्रक्रिया पर उठे सवाल
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के फैसले पर सवाल उठाते हुए वकीलों के समूह ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के इस फैसले से एक गंभीर सवाल उठता है कि क्या इलाहाबाद हाई कोर्ट कूड़ेदान है? यह मामला तब महत्वपूर्ण हो जाता है जब हम मौजूदा हालात पर गौर करें, जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट में माननीय जजों की कमी है और लगातार समस्याओं के बावजूद कई सालों से नए जजों की नियुक्ति नहीं की गई है. यह भी गंभीर चिंता का विषय है कि बार के सदस्यों को पदोन्नत करके जजों की नियुक्ति करते समय कभी भी बार से सलाह नहीं ली गई. ऐसा लगता है कि योग्यता पर विचार भी ठीक से नहीं किया गया है.
'न्यायपालिका में जनता के विश्वास' को भारी क्षति पहुंची
पत्र में आगे लिखा गया है, "कुछ कमी है जिसके कारण भ्रष्टाचार बढ़ा है और परिणामस्वरूप 'न्यायपालिका में जनता के विश्वास' को भारी क्षति पहुंची है. इस बीच, रिपोर्टों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ इन-हाउस जांच भी शुरू कर दी है.