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India Daily

Akash Missile: दुश्मनों के लिए काल बनेगी आकाश-NG मिसाइल, सफल रहा परीक्षण...जानें खूबियां

Akash Missile: DRDO ने नई पीढ़ी की आकाश मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. ये मिसाइल इतनी तेज गति से मार करती है कि दुश्मन को बचने का मौका तक नहीं मिलता.

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Edited By: Amit Mishra
Akash Missile

हाइलाइट्स

  • AKASH-NG मिसाइल का सफल परीक्षण
  • 40 से 80 किलाोमीटर तक मिसाइल की रेंज 

India Test Akash Missile: डीआरडीओ (DRDO) ने शुक्रवार को नई पीढ़ी की आकाश मिसाइल (AKASH-NG) का परीक्षण किया. परीक्षण पूरी तरह से सफल रहा और मिसाइल ने टार्गेट को सफलता पूर्वक नष्ट किया गया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आकाश मिसाइल की सफल टेस्टिंग के लिए DRDO और इंडियन एयरफोर्स को बधाई दी. ये मिसाइल दुश्मनों के लिए काल बनेगी और इससे वायुसेना की ताकत में खासा इजाफा होगा. खास बात है कि मिसाइल की टेस्टिंग में स्वदेशी रूप से तैयार किए गए आरएफ सीकर, लॉन्चर, मल्टी-फंक्शन रडार और कमांड सिस्टम का इस्तेमाल किया गया. 

40 से 80 किलाोमीटर तक है रेंज 

बता दें कि,  जमीन से हवा में मार करने वाली AKASH-NG मिसाइल की रेंज 40 से 80 किलाोमीटर तक है. इसमें खास तरह के डुअल पल्स सॉलिड रॉकेट मोटर का इस्तेमाल किया गया है जो इसकी स्पीड को बढ़ाता है. इसे मोबाइल प्लेटफॉर्म से भी लॉन्च किया जा सकता है. 19 फीट लंबी ये मिसाइल अपने साथ 60 किलो वजन के हथियार ले जा सकती है.

दुश्मन के पास बचने का मौका नहीं 

720 किलो वजन वाली इस मिसाइल में एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे मल्टी फंक्शन राडार लगा है, जो दुश्मन की मिसाइलों और विमान को भी स्कैन कर सकता है. इसकी एक और खासियत ये है कि ये मिसाइल इतनी तेज गति से मार करती है कि दुश्मन को बचने का मौका तक नहीं मिलता. ये 3087 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दुश्मन की तरफ बढ़ते हुए उसे निशाना बनाती है. इस मिसाइल का पुराना वैरिएंट्स 2009 से भारतीय सेना का हिस्सा है.

बढ़ेगी सेना की ताकत 

गौर करने वाली बात ये है कि ये मिसाइल सेना की ताकत बनेगी क्योंकि इसे मोबिलिटी ट्रक्स पर बनाए गए मोबाइल लॉन्च सिस्टम से दागा जा सकता है. सेना पहले से ही  AKASH-NG के पुराने संस्करण का इस्तेमाल कर रही है. पिछले साल चीन से हुए सीमा विवाद के दौरान लद्दाख में LAC पर इसकी तैनाती की गई थी. मिसाइल का पुराना संस्करण भारतीय वायुसेना ने ग्वालियर, पुणे, तेजपुर, जोरहाट और जलवाईगुड़ी बेस पर भी तैनात है. अब इसका और अपग्रेड वर्जन वायुसेना की ताकत को और बढ़ा देगा.