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India Daily

'प्रधानमंत्री के हाथों राम मंदिर का उद्घाटन इंसाफ और सेकुलरिज्म का कत्ल है'...मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा- 'दीप जलाना गैर इस्लामी'

Ram Mandir Inauguration: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने राम मंदिर का उद्घाटन प्रधानमंत्री द्वारा होने का विरोध करते हुए इसे राजनीतिक स्टंट बताया.

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Edited By: Manish Pandey
मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी

हाइलाइट्स

  • सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बताया लोकतंत्र पर हमला
  • 'मंदिर का प्रचार अल्पसंख्यकों के घावों पर नमक छिड़कने जैसा'

AIMPLB On Ram Mandir: 22 जनवरी को अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा करने वाले हैं. इसे लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) का बयान सामने आया है. AIMPLB के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने इस पर सवाल खड़ा करते हुए प्रधानमंत्री के हाथों प्राण-प्रतिष्ठा होने की निंदा की है. उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा मंदिर के उद्घाटन को 'इंसाफ और सेकुलरिज्म का कत्ल' बताया. इतना ही नहीं, अपने बयान में उन्होंने एक बार फिर से राम जन्मभूमि को लेकर विवादित बयान देते हुए ये दावा किया कि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि रामलला का जन्म उस जगह पर हुआ था. 

'अयोध्या में जो हो रहा, वो क्रूरता है'

13 जनवरी को एक बयान जारी कर के AIMPLB के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने न सिर्फ राम मंदिर और हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने वाली बातें कही बल्कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी सवाल उठा दिया. जारी बयान में कहा गया कि 'अयोध्या में जो हो रहा है वह सरासर क्रूरता पर आधारित है'. इसके साथ ही उन्होंने राम जन्मस्थान पर भी प्रश्न उठाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि उसके नीचे कोई मंदिर नहीं था जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई हो और इस बात का भी कोई साक्ष्य (सबूत) नहीं है कि श्री रामचन्द्रजी का जन्म उस स्थान विशेष पर हुआ था. 

इतना ही नहीं, मौलाना ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना करते हुए कोर्ट के फैसले को आस्था के आधार पर दिया गया फैसला बताया. बयान में कहा गया कि "कोर्ट ने कानून से अलग बहुसंख्यक संप्रदाय के एक वर्ग की ऐसी आस्था के आधार पर यह फैसला दिया है जिसका उल्लेख हिंदू भाइयों के पवित्र ग्रंथों में नहीं है. इस फैसले ने मुसलमानों के दिलों को ठेस पहुंचाई है." इसके साथ ही मौलाना ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को लोकतंत्र पर हमला भी बताया. 

'प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन न्याय और धर्मनिरपेक्षता की हत्या' 

मौलाना खालिद विवादित बयान देते हुए कहा कि एक मस्जिद की जगह पर राम मंदिर का निर्माण हो रहा‌ है जहां सैकड़ों वर्षों से नमाज अता की जाती रही है. इस मंदिर का उद्घाटन प्रधानमंत्री द्वारा होना न्याय और धर्मनिरपेक्षता की हत्या है. इसके साथ ही उन्होंने देश-भर में मंदिर के प्रचार-प्रसार को राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित बताते हुए इसे अल्पसंख्यकों के घावों पर नमक छिड़कने जैसा बताया. 

मौलाना खालिद रहमानी ने 22 जनवरी को देश भर में दीप जलाने की प्रधानमंत्री की अपील पर भी टिपण्णी की. उन्होंने मुसलमानों के लिए दीप जलाने को गैर इस्लामी बताते हुए ऐसा न करने की नसीहत दी. उन्होंने कहा कि अगर हिन्दू भाई मंदिर निर्माण की खुशी में दीप जलाते हैं या नारा लगाते हैं तो हमें इस पर आपत्ति नहीं है, लेकिन मुस्लिमों के लिए इस तरह के कार्यक्रमों में भाग लेना गैर-इस्लामी अमल है.