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कांग्रेस के बाद अब असदुद्दीन ओवैसी वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे

ओवैसी का सुप्रीम कोर्ट में यह कदम वक्फ (संशोधन) बिल पर एक बड़ा राजनीतिक और कानूनी मोड़ हो सकता है. अगर सुप्रीम कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप करता है, तो यह मुस्लिम समुदाय और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण परिणाम ला सकता है.

Imran Khan claims
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वक़्फ़ संशोधन बिल लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में भी पास हो गया है. वहीं, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद के बाद अब ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. दरअसल,गुरुवार (3 अप्रैल) को राज्यसभा में वक्फ विधेयक पारित हो गया, जिसमें 128 सदस्यों ने इसके पक्ष में और 95 ने इसके विरोध में मतदान किया था.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 3 अप्रैल की सुबह लोकसभा में इसे पारित कर दिया गया, जिसमें 288 सदस्यों ने इसका समर्थन किया और 232 ने इसके खिलाफ मत दिया. पीटीआई के अनुसार, विधेयक के खिलाफ अपनी याचिका में कांग्रेस सांसद ने तर्क दिया है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों और उनके प्रबंधन पर "मनमाने प्रतिबंध" लगाता है, जिससे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता कमजोर होती है.

मुसलमानों और मुस्लिम समुदाय के मौलिक अधिकारों का खुलेआम उल्लंघन

इस बीच अधिवक्ता अनस तनवीर के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभाव करता है. क्योंकि इसमें “ऐसे प्रतिबंध लगाए गए हैं जो अन्य धार्मिक बंदोबस्तों के शासन में मौजूद नहीं हैं.लाइव लॉ के अनुसार , ओवैसी ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 के प्रावधान "मुसलमानों और मुस्लिम समुदाय के मौलिक अधिकारों का खुलेआम उल्लंघन करते हैं".

जानिए कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश क्या बोले?

हालांकि, इससे पहले आज, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने घोषणा की कि उनकी पार्टी जल्द ही वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 की संवैधानिकता को चुनौती देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का रुख करेगी. इस दौरान जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, “कांग्रेस बहुत जल्द वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 की संवैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. हमें विश्वास है और हम भारत के संविधान में निहित सिद्धांतों, प्रावधानों और प्रथाओं पर मोदी सरकार के सभी हमलों का विरोध करना जारी रखेंगे.

इस दौरान कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 या सीएए सहित कई कानूनों का हवाला दिया, जिन्हें कांग्रेस ने अदालत में चुनौती दी है. रमेश ने कहा कि सीएए को चुनौती, सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 में 2019 के संशोधन, चुनाव नियम (2024) के संशोधन की वैधता और पूजा स्थल अधिनियम, 1991 की मूल भावना को बनाए रखने के लिए हस्तक्षेप, आदि मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हो रही है.

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