प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धोखाधड़ी निवेश योजना में धनशोधन के मामले की जांच के तहत 1,646 करोड़ रुपये की क्रिप्टोकरेंसी जब्त की है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इस योजना में प्रतिभूति निवेश के नाम पर कई जमाकर्ताओं को धोखा दिया गया था.
ईडी के अहमदाबाद कार्यालय ने ‘बिटकनेक्ट ऋण कार्यक्रम’ के माध्यम से निवेश के रूप में प्रतिभूतियों की धोखाधड़ी और गैरपंजीकृत पेशकश तथा बिक्री से संबंधित मामले की जांच की. शनिवार को नए दौर की तलाशी के दौरान 13.50 लाख रुपये नकद, एक गाड़ी और कई डिजिटल उपकरण जब्त किए गए.
नोटबंदी के बाद से लेकर जनवरी 2018 तक का मामला
धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ईडी का मामला सूरत पुलिस अपराध शाखा की प्राथमिकी से शुरू हुआ. इसमें कथित धोखाधड़ी नोटबंदी के बाद नवंबर 2016 से जनवरी 2018 के बीच घटित हुई थी.
जटिल क्रिप्टो वॉलेट्स और डार्क वेब पर लेनदेन
ईडी ने प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों की टीम को तैनात किया, जिन्होंने कई क्रिप्टो वॉलेट्स में किए गए लेनदेन के जटिल जाल की जांच की. उद्देश्य था इन क्रिप्टो वॉलेट्स के मूल और नियंत्रकों का पता लगाना. जांच में पता चला कि कई लेनदेन डार्क वेब के माध्यम से किए गए थे, जिससे उनका पता लगाना मुश्किल हो गया.
ईडी की सतर्क निगरानी और जमीनी खुफिया जानकारी
एजेंसी ने कई वेब वॉलेट्स पर नजर रखी और जमीनी स्तर पर खुफिया जानकारी एकत्रित की, ताकि उन परिसरों को चिह्नित किया जा सके, जहां क्रिप्टोकरेंसी वाले डिजिटल उपकरण उपलब्ध थे. सूत्रों के अनुसार, 1,646 करोड़ रुपये की क्रिप्टोकरेंसी जब्त की गई और इसे ईडी के विशेष क्रिप्टो वॉलेट में स्थानांतरित कर दिया गया.
अब तक की सबसे बड़ी क्रिप्टो जब्ती
यह धनशोधन के बड़े मामले की जांच में वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियों की अब तक की सबसे बड़ी जब्ती मानी जा रही है. सूत्रों का कहना है कि यह जांच अभी भी जारी है और अधिक खुलासे होने की संभावना है.