सुरक्षाबलों को अग्निवीर योजना में बदलाव की जरूरत लग रही है. अधिकारी चाहते हैं कि अग्निवीर योजना का कार्यकाल 8 साल किया जाए और ट्रेनिंग और बढ़ाई जाए. अभी अग्निवीर सिर्फ 4 साल के लिए भर्ती होते हैं, जिन्हें कार्यकाल पूरा होने पर 12 लाख रुपये देकर विदा कर दिया जाता है. केवल 25 प्रतिशत अग्निवीरों को रखा जाता है, शेष को लौटा दिया जाता है. सुरक्षाबलों का कहना है कि 60 से 70 प्रतिशत अग्निवीरों को रखा जाना चाहिए. अधिकारियों का कहना है कि अग्निवीर स्कीम में कुछ ऐसी खामिया हैं, जिन्हें दूर करने की जरूरत है. अभी तक, अधिकारियों ने औपचारिक रूप से सरकार के सामने ये प्रस्ताव नहीं भेजे हैं, अधिकारी अभी इन योजनाओं पर मंथन कर रहे हैं. कुछ अग्निवीरों को सेना में भेजा जाता है, कुछ को स्पेशल फोर्सेज में.
आर्मी ने अपने आतंरिक सर्वे में यह बताया है कि अग्निवीरों के बीच आपसी तालमेल और भरोसे की की कमी है, जिसकी वजह से वे सही तरीके से एक-दूसरे का सहयोग नहीं कर पा रहे हैं. सुरक्षाबलों में यह खामी नहीं होनी चाहिए. इसे सुधारने की जरूरत है. कम से कम 50 प्रतिशत अग्निवीरों को दूसरे प्रोजेक्ट्स में भी लगाए जाने की जरूरत है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों को लग रहा है कि अग्निवीरों को एक-दूसरे के बीच भरोसे को बढ़ाने की जरूरत है, जिससे वे अपनी संस्था के लिए बेहतर तरीके से साम कर सकें. आइए जानते हैं क्या-क्या बदलाव सेना चाहती है.
- अग्निवीर स्कीम से पहले सैनिकों की 37 से 42 सप्ताह तक ट्रेनिंग होती थी. ट्रेनिंग पीरियड को घटाकर 24 सप्ताह करना, उनकी क्षमताओं पर असर डाल रहा है.
- सेना यह भी चर्चा कर रही है कि अग्निवीरों की ट्रेनिंग पीरियड और कार्यकाल बढ़ाया जाए, जिससे इन्हें एक्स सर्विसमेन और ग्रेच्युटी स्टेटस भी मिल सके. टेक्निकल लोगों की भी भर्तियां की जानी चाहिए.
- अग्निवीरों में टेक्नो फ्रैंडली लोगों की भर्ती हो तो उनके परमानेंट होने की संभावनाएं भी ज्यादा होंगी. कई सीनियर पद 2035 के बाद खाली होने वाले हैं, ऐसे में वहां अग्निवीरों को शिफ्ट करने में आसानी होगी.
- अग्निवीर पैरा मिलिट्री फोर्स में शामिल होकर जवानों की हिफाजत भी कर सकते हैं, ऐसे में उन्हें लंबी ट्रेनिंग देने की जरूरत है.
- सेना को अलग-अलग कमांड से ये फीडबैक मिले हैं. अग्निवीर शारीरिक रूप से भी बेहद फिट हैं और वे पढ़ाई और नई तकनीक सीखने के इच्छुक भी हैं. ऐसे लोग सुरक्षाबलों के लिए बेहतर हो सकते हैं.
- अग्निवीर स्कीम में शामिल होने वाले ज्यादातर अभ्यर्थी शहरी इलाकों से आते हैं. अग्निवीर स्कीम की सबसे बड़ी खामी ये है कि केवल 25 प्रतिशत लोगों को स्थाई नौकरी मिलती है, बाकी को विदा कर दिया है. वे 4 साल बाद बेरोजगार हो जाते हैं. उन्हें पेंशन भी नहीं मिलती है. इसमें बदलाव की जरूरत है.