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Chandrayaan-3 की सफलता के बाद अब भविष्य की योजना पर काम शुरू, जानें क्या बोले ISRO चीफ सोमनाथ

ISRO Upcoming Missions: इसरो चीफ सोमनाथ ने आगामी मिशन के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी अब एक्सपीओसैट या एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह के लिए तैयारी कर रही है.

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Edited By: Amit Mishra
Chandrayaan-3 की सफलता के बाद अब भविष्य की योजना पर काम शुरू, जानें क्या बोले ISRO चीफ सोमनाथ

ISRO Upcoming Missions: भारत के मून मिशन यानी चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की सफलता के बाद अब इसरो ने भविष्य की योजनाओं पर काम करना शुरू कर दिया है. इसरो चीफ ने गुजरात में एक प्रेस कॉन्फेंस के दौरान कहा कि राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) अब एक्सपीओसैट या एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह प्रक्षेपण के लिए तैयारी कर रही है और ये प्रक्षेपण नवंबर या दिसंबर में किया जा सकता है. दरअसल, इसरो चीफ एस सोमनाथ (S Somnath) मंदिर दर्शन करने गए थे और इसके बाद उन्होंने ये बात कही.

चल रही है तैयारी

इसरो चीफ सोमनाथ ने आगामी मिशन के बारे में बात करते हुए कहा कि इसरो अब एक्सपीओसैट या एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह के लिए तैयारी कर रहा है. उन्होंने कहा, 'यह एक्सपोसैट तैयार है और इसे हमारे पीएसएलवी रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया जाएगा. हमने अभी तक किसी तारीख की घोषणा नहीं की है, लेकिन इसका प्रक्षेपण नवंबर या दिसंबर में किया जा सकता है.' सोमनाथ ने कहा कि एक और मिशन 'इन्सैट-3डीएस' की भी तैयारी है, जो एक जलवायु उपग्रह है, जिसे दिसंबर में प्रक्षेपित किया जाएगा.

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गगनयान को लेकर दी अहम जानकारी

इसरो चीफ ने कहा, 'हम एसएसएलवी डी3 का प्रक्षेपण करेंगे. जैसा कि आप जानते हैं ये हमारा लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान है. ये तीसरा प्रक्षेपण है. ये प्रक्षेपण नवंबर या दिसंबर में किया जाएगा. इसके बाद नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार या निसार की बारी आएगी. इसे अगले साल फरवरी में प्रक्षेपित किया जाएगा.' उन्होंने कहा कि ‘गगनयान’ मिशन के परीक्षण यान ‘डी1’ का प्रक्षेपण अक्टूबर में किया जाएगा.

प्रज्ञान ने कर दिया है काम

इतना ही नहीं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के प्रमुख एस सोमनाथ ने ये भी कहा कि भारत के मून मिशन 'चंद्रयान-3' के रोवर 'प्रज्ञान' ने वो काम कर दिया है जो इससे किए जाने की अपेक्षा की गई थी. अगर ये स्लीप मोड से सक्रिय होने में विफल भी रहता है तो कोई समस्या नहीं होगी. उन्होंने कहा कि चंद्रमा पर तापमान शून्य से लगभग 200 डिग्री सेल्सियस नीचे जाने पर अत्यधिक प्रतिकूल मौसम के कारण इसके इलेक्ट्रॉनिक सर्किट अगर क्षतिग्रस्त नहीं हुए हैं, तो ये फिर से सक्रिय हो जाएगा.

जारी है प्रयास

इसरो ने पिछले सप्ताह कहा था कि चंद्रमा पर सुबह होने के साथ ही 'चंद्रयान-3' के सौर ऊर्जा से संचालित लैंडर 'विक्रम' और रोवर 'प्रज्ञान' के साथ संपर्क स्थापित कर इन्हें फिर से सक्रिय करने का प्रयास कर रहा है ताकि वो वैज्ञानिक प्रयासों को जारी रख सकें. चंद्रमा पर रात होने से पहले, लैंडर और रोवर दोनों चार और दो सितंबर को निष्क्रिय अवस्था में चले गए थे.

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