'आपके खिलाफ क्यों न लें एक्शन', सुप्रीम कोर्ट ने एडॉप्शन पर क्यों लगाई राज्यों को फटकार?

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को 2023 में निर्देश दिया था कि 31 जनवरी 2024 तक वे राज्यों के सभी 760 जिलों में एक स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी (SAA) बनाएं. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी कई राज्य ऐसे हैं, जिनके जिलों में स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी का गठन नहीं हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर चिंता जताते हुए राज्यों के मुख्य सचिवों को फटकारा है.

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जिन दंपतियों को शादी के एक लंबे अरसे तक संतान नहीं होती है, वे अक्सर अनाथालयों से बच्चों को गोद लेते हैं. गोद लेने की प्रक्रिया कठिन होती है, लेकिन इन दिनों गोद लेना का क्रेज तेजी बढ़ा है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में देश के 760 जिलों में राज्यों को निर्देश दिया था कि वे 31 जनवरी तक स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी (SAA) बनाएं. इस फैसले पर राज्यों ने अमल ही नहीं किया. अब सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा है कि अगर इसे लागू नहीं किया जाता है तो राज्यों के गृह सचिवों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाएगी. 

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को 30 अगस्त तक का समय दिया है. एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी ने आंकड़े दिखाए, जिसमें साफ नजर आया कि राज्य सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट के 20 नवंबर 2023 के फैसले को कैसे अमल में लाया. सुप्रीम कोर्ट ने SAA गठिन करने का निर्देश दिया था लेकिन नहीं किया गया. ASG ने बताया कि 370 जिलों में ऐसा नहीं हुआ है.

किन राज्यों ने नहीं मानी सुप्रीम कोर्ट की बात?

ASG ने बताया है कि जिन राज्यों में SSA नहीं हैं, उनके ज्यादातर जिले, दिल्ली, यूपी, पंजाब, तेलंगाना, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, झारखंड, नागालैंड और उत्तराखंड में हैं.  चंडीगढ़, गोवा, कर्नाटक, राजस्थान, केरल जैसे राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन किया है. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'मजबूरी में लेना पड़ेगा एक्शन...'

चीफ जस्टिस DY चंद्रचूड़, जस्टिस जेपी पादरीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकारों ने इस आदेश को नहीं मानता है. बेंच ने कहा, 'हमने अधिकारियों से कहा था कि अगर आदेश लागू नहीं होता है तो अधिकारियों को बताना होगा कि उनके खिलाफ एक्शन क्यों न लिया जाए. अब हम ऐसा करने के लिए मजबूर हैं. बार-बार की कोशिशों के बाद भी हर जिले में SAA स्थापित नहीं किए गए. जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से चूक हुई है, उनके मुख्य सचिवों को 30 अगस्त को या उससे पहले हलफनामा दायर कर बताना होगा कि उनके खिलाफ अदालत अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू करे?' 

साल-दर-साल क्या हैं गोदनामे के आंकड़े?

ASG ने कहा कि गोद लेने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कोर्ट की दखल के बाद से गोद लेने के लिए बच्चों के चुनाव और रजिस्ट्रेशन को लेक बुनियादी ढांचे का अभाव और खुलकर सामने आया है. सेंट्रल एडॉप्टेशन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) ने अब तक 4,029 गोदनामा रजिस्टर किया है. साल 2019-20 में कुल 3,745 अनाथ, लावारिस और सरेंडर किए गए बच्चों को गोद लिया गया था. CARA के जरिए ये आंकड़े सामने आए हैं. साल 2020-21 में यह संख्या 3,559 थी, 2021-22 में यह संख्या 3,405 थी, 2022-23 में यह संख्या 3,441 थी. साल 2023-24 में कुल 4,029 बच्चों को इस प्रक्रिया से गोद लिया गया था.