जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ और इससे पूरे देश में गुस्से का माहौल बना हुआ है. इस हमले के बाद भारत सरकार और विभिन्न राज्यों ने सुरक्षा को लेकर सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. इसी कड़ी में गुजरात पुलिस ने शनिवार, 26 अप्रैल को एक बड़े ऑपरेशन में अहमदाबाद और सूरत शहरों से 1,024 बांग्लादेशी नागरिकों को हिरासत में लिया.
हिरासत में लिए गए लोगों के बारे में कहा जा रहा है कि वे अवैध रूप से भारत में रह रहे थे. इस कार्रवाई को गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने "ऐतिहासिक जीत" करार दिया. आइए, इस ऑपरेशन और इसके पीछे की वजहों को जानते हैं.
22 अप्रैल को पहलगाम के बैसारन मीडोज में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई और कई लोग घायल हुए. इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान से जुड़े आतंकी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली, जो लश्कर-ए-तैयबा का हिस्सा है. भारत सरकार ने इस हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया और सख्त कार्रवाई का ऐलान किया. इस घटना के बाद देशभर में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने के निर्देश दिए गए. गुजरात पुलिस की यह कार्रवाई इसी दिशा में एक बड़ा कदम है.
गुजरात पुलिस ने शनिवार तड़के 3 बजे से अहमदाबाद और सूरत में एक साथ बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया. इस ऑपरेशन में अहमदाबाद से 890 और सूरत से 134 बांग्लादेशी नागरिकों को हिरासत में लिया गया. अहमदाबाद में ज्यादातर लोग चंदोला झील इलाके से पकड़े गए.
पुलिस ने इस ऑपरेशन को "अवैध घुसपैठियों और अतिक्रमण के खिलाफ ऐतिहासिक सर्जिकल स्ट्राइक" बताया. हिरासत में लिए गए लोगों को पहले अहमदाबाद के कांकरिया फुटबॉल ग्राउंड में रखा गया और फिर उन्हें क्राइम ब्रांच के गायकवाड़ हवेली मुख्यालय ले जाया गया. पुलिस ने इसका वीडियो जारी किया है.
गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने सूरत में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "यह गुजरात पुलिस की सबसे बड़ी कार्रवाई है. इन बांग्लादेशी नागरिकों ने पश्चिम बंगाल के रास्ते फर्जी दस्तावेजों के जरिए अवैध रूप से भारत में प्रवेश किया और गुजरात सहित अन्य राज्यों में रह रहे थे."