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Video: सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क के खिलाफ एक्शन, घर पर गरजा बुलडोजर

अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत शहर भर में कई अवैध निर्माणों पर कार्रवाई की जा रही है. इसके तहत नगर पालिका कर्मचारियों ने जिया उर रहमान बर्क के घर के सामने स्थित सीढ़ियां, जो सड़क से जुड़ी हुई थीं, हटा दीं. यह कार्रवाई सरकारी भूमि पर अवैध निर्माण को रोकने के उद्देश्य से की गई है.

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Edited By: Gyanendra Sharma
Sambhal MP Zia-ur-Rehman
Courtesy: Social Media

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जिया उर रहमान बर्क के खिलाफ एक और कड़ी कार्रवाई की गई है. नगर पालिका द्वारा चलाए गए अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत उनकी मकान के सामने स्थित सड़क से जुड़ी सीढ़ियां हटा दी गईं. यह कार्रवाई जिले में चल रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत की गई, जो जिलाधिकारी (डीएम) के आदेश पर जारी है. इससे पहले जिया उर रहमान बर्क पर बिजली चोरी का आरोप भी लग चुका है. बिजली विभाग ने उनके खिलाफ 1 करोड़ 91 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है और इस सिलसिले में एफआईआर भी दर्ज करवाई है. आरोप है कि बर्क के घर में बिजली की चोरी की जा रही थी, जिससे विभाग को भारी नुकसान हुआ है. इस मामले में जांच के बाद विभाग ने सांसद के घर की बिजली भी काट दी है.

अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत शहर भर में कई अवैध निर्माणों पर कार्रवाई की जा रही है. इसके तहत नगर पालिका कर्मचारियों ने जिया उर रहमान बर्क के घर के सामने स्थित सीढ़ियां, जो सड़क से जुड़ी हुई थीं, हटा दीं. यह कार्रवाई सरकारी भूमि पर अवैध निर्माण को रोकने के उद्देश्य से की गई है.

बिजली चोरी के आरोप

जिया उर रहमान बर्क पर बिजली चोरी के आरोपों को लेकर अब राजनीतिक हलकों में भी चर्चा तेज हो गई है. सपा सांसद पर इस आरोप के बाद विपक्षी दलों ने उन्हें घेरना शुरू कर दिया है, वहीं समाजवादी पार्टी ने इस पूरे मामले को राजनीतिक साजिश बताते हुए इसे राज्य सरकार की प्रतिशोध की नीति करार दिया है. बर्क के घर पर बिजली विभाग की छापेमारी के दौरान भारी मात्रा में बिजली चोरी के सबूत मिले थे. इसके बाद विभाग ने उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की और बिजली की आपूर्ति रोक दी. साथ ही, जुर्माना भी लगाया गया, जो उनकी ओर से दिए गए बयान से इतर है, जिसमें उन्होंने इस आरोप को नकारा किया था.

कार्रवाई पर उठे सवाल

संभल जिले में चल रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान को लेकर भी विवाद उठ रहे हैं. कई लोगों का कहना है कि यह अभियान केवल राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है, जबकि सरकारी अधिकारियों का कहना है कि यह अभियान अवैध निर्माणों को हटाने के लिए है और इसके तहत किसी भी व्यक्ति को विशेष छूट नहीं दी जाएगी. इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि जिया उर रहमान बर्क के खिलाफ यह कार्रवाई सिर्फ एक अदालती प्रक्रिया तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव का भी मामला बन चुका है.