कौन हैं आचार्य प्रमोद कृष्णम? कांग्रेस ने प्रियंका गांधी के करीबी को क्यों पार्टी से निकाला?

Acharya Pramod Krishnam: आचार्य प्रमोद कृष्णम को कांग्रेस से 6 साल के लिए निष्कासित. लोकसभा चुनाव से पहले बगावती तेवर दिखाने वाले आचार्य प्रमोद कृष्णम को कांग्रेस ने पार्टी से बाहर कर दिया है.

India Daily Live

लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के करीबी आचार्य प्रमोद कृष्णम (Acharya Pramod Krishnam) को पार्टी से बाहर कर दिया है. आचार्य का बाहर होना अप्रत्याशित नहीं है क्योंकि वे पहले ही बगावती तेवर दिखाकर पार्टीलाइन से अलग खड़े दिखाई दे रहे थे. कांग्रेस ने उन पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए उन्हें 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है.

6 साल के लिए निष्कासित किया

सोशल मीडिया पर काफी फॉलो किए जाने वाले आचार्य प्रमोद को कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पत्र जारी कर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया. पत्र में  बताया गया है कि ये एक्शन अनुशासनहीनता और पार्टी के खिलाफ बार-बार बयानबाजी करने के कारण लिया गया है.

मल्लिकार्जुन खरगे ने दी प्रस्ताव को मंजूरी

उन्होंने आगे बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रमोद कृष्णम को तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया है जो छह साल के लिए है. ये प्रस्ताव उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पार्टी अध्यक्ष को एक  भेजा था. अब इसको मंजूरी दे दी गई है.

कौन हैं आचार्य प्रमोद कृष्णम?

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लखनऊ से लड़ा था लेकिन हार गए. हालाxकि, उन्हें चुनाव में 1.8 लाख वोट मिले थे. 2014 में आचार्य प्रमोद ने यूपी के संभल से लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन वहा भी हार का सामना करना पड़ा था.

पीएम से मिले थे आचार्य प्रमोद

यह भी ध्यान देने की बात है कि ये कार्रवाई प्रमोद कृष्णम द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से मुलाकात करने के बाद हुई है. वैसे प्रमोद कृष्णम पार्टी का चर्चित लेकिन बहुत मजबूत चेहरा नहीं थे. हिंदुओं में उनका खास जनाधार नहीं था.  उन्होंने वर्ष 2019 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लखनऊ से लड़ा था, लेकिन तब हार मिली थी. 

राम मंदिर मामले पर की थी कांग्रेस की आलोचना

एक तरफ कांग्रेस ने जहां अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा की आलोचना की थी और खुद को इस प्रोग्राम से अलग कर लिया था तो वहीं आचार्य प्रमोद ने इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होने के कांग्रेस के रुख की आलोचना की थी। उन्होंने मंदिर के कार्यक्रम के लिए भाजपा की तारीफ की थी.

भाजपा से बढ़ती नजदीकियां

उन्होंने इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी से भी मुलाकात करने के बाद उन्हें 19 फरवरी को उत्तर प्रदेश के संभल में श्री कल्कि धाम के शिलान्यास समारोह में आमंत्रित किया था. लगातार पार्टी छोड़ते बड़े चेहरों के बीच यह कार्रवाई कांग्रेस के लिए लगातार लगते झटकों में एक और बड़ा झटका माना जा रहा है.