About Atul Limaye: महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन की हालिया ऐतिहासिक जीत के बाद एक नाम खास चर्चा में है और वो है अतुल लिमये. लिमये को महाराष्ट्र में महायुति की प्रचंड जीत का सूत्रधार बताया जा रहा है. 54 वर्षीय लिमये ने संघ परिवार के रणनीतिकार के तौर पर बीजेपी को सत्ता में वापस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनके कड़े रणनीतिक प्रयास और समाज के विभिन्न वर्गों से जुड़े नेताओं तक उनकी पहुंच ने महायुति को सत्ता में वापसी करने में सफलता दिलाई.
अतुल लिमये के बारे में
नासिक के एक इंजीनियर अतुल लिमये ने करीब तीन दशक पहले एक बहुराष्ट्रीय कंपनी को छोड़कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ने का निर्णय लिया. इसके बाद उन्होंने संघ के एक पूर्णकालिक प्रचारक के रूप में काम करना शुरू किया. लिमये ने अपनी शुरुआत महाराष्ट्र के पश्चिमी क्षेत्रों, जैसे रायगढ़ और कोंकण में की. इसके बाद वह देवगिरी प्रांत के सह प्रांत प्रचारक बने, जिसमें मराठवाड़ा और उत्तर महाराष्ट्र के इलाके आते हैं.
लिमये ने पश्चिमी महाराष्ट्र क्षेत्र में काम करते हुए राज्य के राजनैतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य को अच्छी तरह से समझा. उनका यह अनुभव संघ और बीजेपी के लिए बेहद उपयोगी साबित हुआ, खासकर 2014 में जब बीजेपी ने राज्य में सत्ता हासिल की थी.
महायुति की जीत में अतुल लिमये की भूमिका
जब महाराष्ट्र में बीजेपी और उसके सहयोगियों ने महायुति गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा, तो संघ ने इसे पूरी तरह से सक्रिय रूप से समर्थन दिया. लिमये, जो संघ के संयुक्त महामंत्री हैं, ने वरिष्ठ बीजेपी नेताओं जैसे नितिन गडकरी और देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर चुनावी रणनीतियों पर काम किया.
लिमये ने राज्य की सामाजिक और राजनीतिक जटिलताओं को समझते हुए विभिन्न विरोधी समाजों के नेताओं से संपर्क किया. खासकर, मराठा समुदाय द्वारा आरक्षण की मांग को लेकर गहरे असंतोष के समय में उन्होंने विभिन्न मराठा नेताओं से संपर्क किया और उन्हें भरोसा दिलाया कि बीजेपी मराठा समुदाय के लिए आरक्षण का समर्थन करती है, लेकिन ओबीसी के तहत नहीं. इसके साथ ही उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में उठाएगी.
गडकरी, फडणवीस और लिमये का सामूहिक प्रयास
महायुति गठबंधन की रणनीति में गडकरी और फडणवीस का समावेश बहुत प्रभावी साबित हुआ. गजानन निमदे, जो कि मराठी दैनिक 'तरुण भारत' के मुख्य संपादक और संघ के मुखपत्र के संपादक हैं, ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि गडकरी और फडणवीस के साथ रणनीतिक साझेदारी और लिमये की योजनाओं ने चुनावी परिणामों में चमत्कारी बदलाव लाया.
अतुल लिमये की रणनीति और दृष्टिकोण
लिमये के नेतृत्व में संघ ने महाराष्ट्र के चुनावी परिदृश्य को एक नए दृष्टिकोण से देखा. उनका ध्यान न केवल मराठा समुदाय, बल्कि अन्य सामाजिक वर्गों के मुद्दों पर भी था. उन्होंने कई शोध समूहों और थिंक टैंक्स का गठन किया, जिन्होंने राज्य की जनसांख्यिकी, धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति और सरकार की नीतियों पर गहन अध्ययन किया.
लिमये की रणनीति में यह भी शामिल था कि वे बीजेपी के नेताओं के भीतर की ताकत और कमजोरियों को समझें और उसे ठीक से फायदा उठाएं. इसके साथ ही उन्होंने संघ के पुराने और अनुभवी नेताओं के साथ मिलकर सामूहिक दृष्टिकोण अपनाया, जिससे महायुति गठबंधन को एक मजबूत पैठ मिली.