बनियान पहनकर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में शामिल हुआ शख्स, जज साहिबा हुईं आग बबूला, लगा दी क्लास
सुप्रीम कोर्ट में एक अजीबोगरीब घटना घटी. सुप्रीम कोर्ट की ऑनलाइन सुनवाई के दौरान एक शख्स बनियान पहनकर ही सुनवाई में शामिल हो गया. जस्टिस बीवी नागरत्ना शख्स को देखकर आगबबूला हो गईं और उन्होंने उस शख्स की क्लास लगा दी. उन्होंने कोर्ट के मास्टर को तुरंत उस शख्स को सुनवाई से बाहर करने का आदेश दिया.
Delhi News: सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान एक अजीब सी घटना हुई. एक शख्स बनियान पहनकर ही सुप्रीम कोर्ट की ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस में शामिल हो गया. बनियान में शख्स को देखकर मामले की सुनवाई कर रहीं जस्टिस बीवी नागरत्ना आग बबूला हो गईं और उन्होंने उस शख्स की क्लास लगा दी. जस्टिस नागरत्ना ने कहा, 'बनियान पहने यह शख्स कौन है?' वहीं जस्टिस दत्ता ने सवाल किया कि क्या यह शख्स इस केस से जुड़ा हुआ है? कुछ ही मिनट बाद जस्टिस नागरत्ना ने कोर्ट मास्टर से उस शख्स को वीडियो कॉन्फ्रेंस से बाहर निकालने को कहा. उन्होंने कहा, 'यह कैसे किया जा सकता है. कृपया इसे बाहर हटाएं.'
तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के हक में सुनाया अहम फैसाला
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (10 जुलाई) को तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला अपराध प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के तहत अपने पति से भरण-पोषण की हकदार है. इसके लिए वह याचिका दायर कर सकती है.
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने एक मुस्लिम युवक की याचिका खारिज करते हुए यह आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 धर्मनिरपेक्ष कानून पर हावी नहीं होगा.
कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम तलाकशुदा महिला सीआरपीसी की धारा 125 के तहत याचिका दायर कर सकती है. कोर्ट ने यह भी कहा कि यह धारार सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होती है चाहे वह किसी भी धर्म की क्यों न हो.
याचिकाकर्ता ने दी थी तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती
बता दें कि अब्दुल नाक के एक मुस्लिम शख्स ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने के लिए तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. उसने अपनी दलील में कहा था कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला सीआरपीसी की धारा 125 के तहत याचिका दायर करने की हकदार नहीं है. महिला को मुस्लिम महिला अधिनियम 1986 के प्रावधानों के तहत ही चलना होगा लेकिन कोर्ट ने उसकी दलील को खारिज कर दिया और सीआरपीसी की धारा 125 को प्राथमिकता दी.
क्या कहती है सीआरपीसी की धारा 125
दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 में भरष पोषण का प्रावधान है. इसके अनुसार अगर किसी व्यक्ति के पास अपने भरण पोषण के पर्याप्त साधन हैं तो वह अपनी पत्नी, बच्चों और माता-पिता के भरण पोषण से इंकार नहीं कर सकता.