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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकंड का होगा शुभ मुहूर्त, जानें क्यों चुना गया यह समय?

22 जनवरी को भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकंड का अति सूक्ष्म मुहूर्त निकाला गया है. जो 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक होगा. 

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Edited By: Avinash Kumar Singh
84 seconds Ramlala consecration

हाइलाइट्स

  • रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकंड का होगा शुभ मुहूर्त
  • ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने चुना यह शुभ मुहूर्त

नई दिल्ली: रामलला की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को पूरे देश में मेगा इवेंट बनाने की तैयारी युद्ध स्तर पर शुरू हो चुकी है. 22 जनवरी को रामलला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह के आयोजन किया जाएगा. इस बीच यह खबर सामने आई है कि 22 जनवरी को भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकंड का अति सूक्ष्म मुहूर्त निकाला गया है. जो 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक होगा. 

रामलला की मूर्ति स्थापना के लिए अतिसूक्ष्म मुहूर्त

राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए देश भर के विद्वानों और चोटी के ज्योतिषाचार्य से प्राण प्रतिष्ठा के समय को निर्धारित करने को कहा गया था. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए देश भर से 5 मुहूर्त प्रस्तावित किए गए थे. जिनमें से काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने जो मुहूर्त चुना है, उस समय ही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा किया जाएगा. काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण और राममंदिर के शिलान्यास का मुहूर्त निकालने वाले गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने बताया कि मेष लग्न में वृश्चिक नवांश में अभिजीत मुहूर्त में श्रीरामजन्मभूमि में रामलला की मूर्ति स्थापना के लिए अतिसूक्ष्म मुहूर्त है. 

ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने चुना यह शुभ मुहूर्त

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से रामलला की स्थापना के लिए कई तारीखों के विकल्प दिए थे, जिसमें 17 जनवरी से 25 जनवरी तक के 5 तारीख दी गई थी. जिनमें से काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने 22 जनवरी की तारीख और मुहूर्त को चुना है. विद्वान ज्योतिषाचार्य के मुताबिक 22 जनवरी मुहूर्त के लिहाज से कई दोषों से मुक्त है. यह तारीख और मुहूर्त अग्निबाण मृत्युबाण,चोरवाण, नृपवाण और रोगवान से मुक्त है. ऐसे में ज्योतिषाचार्य ने इसे शुभ मुहूर्त माना गया है.