70 प्रतिशत अंडरट्रायल कैदियों से भरी पड़ी हैं भारत की जेल, जमानत के लिए पैसा नहीं: संसदीय समिति की रिपोर्ट में खुलासा

विचाराधीन कैदियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें जेल में हिंसा, स्वास्थ्य समस्याएं, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, नशीली दवाओं का सेवन और परिवारों पर प्रभाव शामिल हैं. इसके अलावा, अधिकारों का उल्लंघन भी एक बड़ी समस्या है.

भारत की जेलें विचाराधीन कैदियों से भरी पड़ी हैं, जो कुल कैदियों की संख्या का लगभग 70 प्रतिशत है. यह आंकड़ा संसदीय समिति की रिपोर्ट में सामने आया है, जिसमें यह भी बताया गया है कि इन कैदियों को जमानत पर रिहा नहीं किया जा रहा है क्योंकि वे जमानत की राशि नहीं चुका पा रहे हैं या उनके पास जमानत के लिए आवश्यक सुरक्षा नहीं हैं.

जांच में देरी बन रहा कारण

इस समस्या के पीछे कई कारण हैं, जिनमें न्यायिक प्रणाली की कम क्षमता, खराब आर्थिक और शैक्षणिक स्तर, अनावश्यक गिरफ्तारियां और जमानत प्रणाली के मुद्दे शामिल हैं. इसके अलावा, जांच में देरी और पुलिस-जनसंख्या अनुपात की कमी भी इस समस्या को बढ़ावा देती है.

कई समस्याओं से जूझते हैं विचाराधीन कैदी

विचाराधीन कैदियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें जेल में हिंसा, स्वास्थ्य समस्याएं, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, नशीली दवाओं का सेवन और परिवारों पर प्रभाव शामिल हैं. इसके अलावा, अधिकारों का उल्लंघन भी एक बड़ी समस्या है.

सरकार को उठाने होंगे कदम

इस समस्या का समाधान करने के लिए, सरकार को कई कदम उठाने होंगे. इनमें मनमानी गिरफ्तारी को रोकने के लिए एक व्यापक जमानत कानून बनाना, विचाराधीन कैदियों को खुली जेलों में रखना और उन्हें रिहाई/बरी होने पर मुआवज़ा देना शामिल है.

जेल सुरक्षा भी सवालों के घेरे में

इसके अलावा, सरकार को जेलों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए भी कदम उठाने होंगे. इनमें निगरानी प्रौद्योगिकी का उपयोग करना, जेलों में नशीली दवाओं के सेवन को रोकने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाना और जेल कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना शामिल है.

इस प्रकार, भारत की जेलों में विचाराधीन कैदियों की बढ़ती संख्या एक गंभीर समस्या है, जिसका समाधान करने के लिए सरकार को कई कदम उठाने होंगे. इनमें न्यायिक प्रणाली की क्षमता में सुधार करना, जमानत प्रणाली को मजबूत करना और जेलों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना शामिल है.