menu-icon
India Daily

कश्मीर घाटी में एक्टिव हैं 65 पाकिस्तानी आतंकी, इन तीन संगठनों से मिलता है कमांड

हिज्बुल मुजाहिदीन एक कश्मीर आधारित प्रतिबंधित संगठन है, लेकिन सुरक्षा बलों के रिकॉर्ड से पता चलता है कि तीनों आतंकवादी पाकिस्तान के निवासी हैं. सरकार ने अभी तक पहलगाम हमलावरों का आधिकारिक ब्यौरा साझा नहीं किया है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों का मानना ​​है कि सभी बंदूकधारी विदेशी थे और स्थानीय आतंकवादियों द्वारा उनकी मदद की गई थी.

auth-image
Edited By: Gyanendra Sharma
Pakistani terrorists
Courtesy: Social Media

कश्मीर घाटी में एक बार फिर आतंकवाद बड़ा मुद्दा बन गया है. पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई. सुरक्षा अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि तीन अलग-अलग आतंकवादी संगठनों के कम से कम 65 विदेशी आतंकवादी फिलहाल जम्मू-कश्मीर में सक्रिय हैं. इन विदेशी आतंकवादियों के संगठनों का वर्तमान ब्यौरा उपलब्ध नहीं है. लेकिन मार्च 2025 में अंतिम अद्यतन रिकॉर्ड के अनुसार, 59 विदेशी आतंकवादियों में से 35 लश्कर-ए-तैयबा के थे, जिसके छद्म संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी. अन्य 21 जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और तीन हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) के हैं. 

हालांकि हिज्बुल मुजाहिदीन एक कश्मीर आधारित प्रतिबंधित संगठन है, लेकिन सुरक्षा बलों के रिकॉर्ड से पता चलता है कि तीनों आतंकवादी पाकिस्तान के निवासी हैं. सरकार ने अभी तक पहलगाम हमलावरों का आधिकारिक ब्यौरा साझा नहीं किया है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों का मानना ​​है कि सभी बंदूकधारी विदेशी थे और स्थानीय आतंकवादियों द्वारा उनकी मदद की गई थी. 

जम्मू-कश्मीर में तैनात एक अधिकारी ने कहा, जम्मू क्षेत्र में लश्कर सबसे सक्रिय समूह रहा है. टीआरएफ द्वारा जिम्मेदारी लेना सिर्फ़ एक कवर अप है, ताकि पाकिस्तान की भूमिका स्पष्ट न हो. प्रत्यक्षदर्शियों ने 4-6 बंदूकधारियों की सूचना दी है. ज़्यादातर ने बताया है कि 4 लोग सक्रिय रूप से गोलीबारी में शामिल थे.

आतंकियों की घुसपैठ  बड़ी चिंता

सुरक्षा बलों के लोगों ने बताया कि पिछले दो सालों में जम्मू में लगातार आतंकी हमले हुए हैं, ऐसे में विदेशी आतंकियों की घुसपैठ और आवाजाही सुरक्षा बलों के लिए चिंता का बड़ा कारण रही है. फिलहाल केंद्र सरकार 26 अलग-अलग तकनीक से जुड़ी पहल शुरू करने की प्रक्रिया में है, जिसमें ड्रोन रोधी तकनीक, सुरंग पहचान तकनीक और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी शामिल है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 7 अप्रैल को जम्मू में सीमा चौकी का दौरा किया और जवानों से कहा कि सीमा पर तैनाती के लिए इलेक्ट्रॉनिक निगरानी प्रणाली के दो मॉडल विकसित किए गए हैं. पूरी सीमा पर इनके लगने के बाद जवानों को सूचना प्राप्त करने और तुरंत प्रतिक्रिया देने में काफी आसानी होगी.

जवानों की संख्या बढ़ाई जा रही

सुरक्षा बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, घुसपैठ एक बड़ा मुद्दा रहा है. पिछले साल गृह मंत्रालय ने अचानक बीएसएफ प्रमुख को बदल दिया था और समय से पहले ही उन्हें उनके कैडर में वापस भेज दिया था. पिछले साल जुलाई में सेना प्रमुख की अध्यक्षता में सभी एजेंसियों के प्रमुखों के साथ एक बड़ी बैठक भी हुई थी, जिसमें घुसपैठ को रोकने और आतंकवाद विरोधी उपायों के बारे में पता लगाया गया था. जमीन पर जवानों की संख्या बढ़ाई जा रही है.
 

सम्बंधित खबर