Himachal Political Crisis: हिमाचल प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कांग्रेस के 6 बागी विधायकों की अयोग्यता पर भी फैसला सुनाते हुए इनकी सदस्यता रद्द कर दी है. स्पीकर ने विधायकों को अयोग्य करार देते हुए कहा कि विधायकों ने व्हिप का उल्लंघन किया था. संसदीय कार्य मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने दलबदल विरोधी कानून के तहत सभी क्रॉस वोटिंग करने वाले छह विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए याचिका दायर की थी. जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया इन विधायकों पर बड़ी कारवाई की है.
विधानसभा स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि एंटी-डिफेक्शन लॉ के तहत दोषी पाए गए हैं. उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई है. मैंने उनको अयोग्य घोषित कर दिया है वो अब सदन के सदस्य नहीं हैं. जिन विधायकों को अयोग्य घोषित किया गया है उनका नाम सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर,राजेंद्र सिंह राणा, चैतन्य शर्मा, देवेंदर भुट्टो, इंदर दत्त लखनपाल हैं. इन सभी विधायकों ने राज्य संसदीय कार्य मंत्री की ओर से जारी जारी व्हिप का उल्लंघन किया था. दोनों पक्षों को सुनने के बाद मैंने 30 पन्नों में मैंने फैसला तैयार किया है. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पिछले फैसलों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है.
स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने आगे कहा मैनें एंटी डिफेक्शन लॉ के 10 शेड्यूल के तहत बतौर ट्रिब्युल के जज तौर पर यह फैसला मैंने सुनाया है. विधायकों ने चुनाव तो कांग्रेस पार्टी से लड़ा लेकिन वोट किसी और को दिया. व्हिप जारी किये जाने के बाद विधायक सदन में मौजूद नहीं थे. बजट के दौरान उनकी मौजूदगी नहीं थी वहीं सनुवाई के दौरान भी ये विधायक व्यक्तिगत तौर पर पेश नहीं हुए हैं. इन्हीं तमाम विधायी विषयों के मद्देनजर फैसला दिया गया है.
कांग्रेस पर्यवेक्षकों के दखल के बाद सुक्खू सरकार पर सियासी संकट के बादल फिलहाल के लिए टल गया है. राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग और विक्रमादित्य सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा देने बाद सूबे में सुक्खू सरकार के गिरने की अटकले तेज हो गई थी. समय रहते कांग्रेस आलाकमान की सूझबूझ और काफी मान-मनौवल के बाद विक्रमादित्य सिंह अपना इस्तीफा वापस ले लिया है.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने सरकारी आवास पर शिमला में सभी कांग्रेस विधायकों की ब्रेकफास्ट मीटिंग बुलाई गई है. वहीं पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट में हिमाचल के सीएम पद को लेकर कांग्रेस पार्टी के आलाकमान पर फैसला छोड़ दिया गया है. पर्यवेक्षकों ने कांग्रेस हाईकमान को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सुक्खू को लोकसभा चुनाव तक सीएम बने रहा जा सकता है.