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India Daily

6 दिसंबर 1992 को 'बाबरी विध्वंस,' कभी नहीं भूल सकता भारत.. बदल दी थी देश की राजनीतिक दिशा

Babri Masjid Demolition: 32 साल पहले आज ही के दिन अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ, जो कई दशकों तक देश का बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना रहा. इसके अलावा 6 दिसंबर को ही डॉ. भीमराव अंबेडकर की 69वीं पुण्यतिथि है. ऐसे में भारतीय इतिहास में 6 दिसंबर का दिन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है.

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Edited By: Kamal Kumar Mishra
Babri Masjid
Courtesy: Pinterest

Babri Masjid Demolition: 6 दिसंबर, 1992 का दिन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद घटना के रूप में दर्ज है. यह वह तारीख थी जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद को एक भीड़ ने ध्वस्त कर दिया था और इस घटना ने देश में गहरे सांप्रदायिक तनाव और राजनीतिक उथल-पुथल को जन्म दिया. 

अयोध्या, उत्तर प्रदेश में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है, जो धार्मिक दृष्टिकोण से हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यधिक महत्व रखता है. हिन्दू मान्यता के अनुसार, यहां भगवान राम का जन्म हुआ था और इस स्थान को " श्रीराम जन्मभूमि" के रूप में पूजा जाता है. बाबरी मस्जिद का निर्माण 1528 में मुईनुद्दीन बाबर के आदेश पर हुआ था. इस मस्जिद को लेकर विवाद तब से चला आ रहा था, जब से हिन्दू समुदाय ने दावा किया कि मस्जिद के स्थान पर भगवान राम का जन्म हुआ था.

6 दिसंबर को कारसेवकों ने ढहाया बाबरी मस्जिद

1992 में इस विवाद ने एक नया मोड़ लिया, जब विश्व हिन्दू परिषद (VHP), बजरंग दल और अन्य हिन्दू संगठनों ने अयोध्या में एक विशाल रैली का आयोजन किया. इन संगठनों ने आरोप लगाया कि बाबरी मस्जिद का निर्माण राम जन्मभूमि पर हुआ था और इसलिए वहां रामलला को विराजमान होना चाहिए. यह आंदोलन धीरे-धीरे उग्र होता गया और अंततः 6 दिसंबर को लाखों की संख्या में जुटी एक भीड़ ने बाबरी मस्जिद को ढहा दिया. 

6 दिसंबर के बाद देश में हुए दंगे

मस्जिद को ढहाने के बाद पूरे देश में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे, जिसमें हजारों लोग मारे गए और लाखों लोग प्रभावित हुए. यह घटना भारत के सामाजिक ताने-बाने को गहरे रूप से प्रभावित करने वाली थी, क्योंकि यह धार्मिक असहिष्णुता और सांप्रदायिक हिंसा को जन्म देने वाली घटना बन गई. इसके बाद से अयोध्या में राम मंदिर बनाने का मुद्दा राजनीतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से और अधिक संवेदनशील हो गया. 

राम मंदिर को पार्टियों ने बनाया राजनीतिक मुद्दा

बाबरी मस्जिद के ध्वस्त होने के बाद भारतीय राजनीति में भी बदलाव आया. भारतीय जनता पार्टी (BJP) और अन्य हिन्दू संगठन इस मुद्दे को अपनी चुनावी राजनीति का एक अहम हिस्सा बनाए. इसके परिणामस्वरूप, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बन गया. इसपर कांग्रेस ने भी जमकर राजनीति की, कांग्रेस हमेशा बीजेपी से पूछती रही कि आखिर अयोध्या भगवान राम का मंदिर कब बनेगा. इसके साथ कांग्रेस और सपा जैसी पार्टियां मुस्लिम समाज को खुश करने के लिए अयोध्या में भगवान राम के मंदिर के मुद्दे हमेशा दबाते रहे.

अयोध्या में मस्जिद का क्या हुआ?

आज भी, 6 दिसंबर की घटना भारतीय समाज में गहरे मतभेदों का कारण बनी हुई है और इसे लेकर कई लोग आहत हैं. हालांकि, 2019 में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय आया, जिसमें राम जन्मभूमि पर मंदिर बनाने की अनुमति दी गई और मस्जिद के लिए अन्य स्थान पर जमीन दी गई. अयोध्या में भगवान राम का मंदिर तो बन गया, लेकिन मस्जिद वाली जगह आज भी खाली पड़ी है, क्योंकि मुस्लिम समाज की तरफ से पर्याप्त मात्रा में धन इकट्ठा नहीं हो पा रहा है.  6 दिसंबर की घटना एक ऐसा दिन है, जो भारत के इतिहास में मजबूती के साथ दर्ज है, जिसे आने वाले दशकों में भी मिटाना मुश्किल है.