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किसी को एक नहीं मिलती, इस मरीज के शरीर में मिली तीन किडनियां! जानें किडनी ट्रांसप्लांट की अनोखी कहानी?

47 वर्षीय वैज्ञानिक देवेंद्र बारलेवार का अमृता अस्पताल में दुर्लभ तीसरा किडनी प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक किया गया, जिससे उनके पास पांच किडनी बचीं, जिनमें से केवल एक ही काम कर रही है.

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Edited By: Mayank Tiwari
रक्षा मंत्रालय के इस भारतीय वैज्ञानिक के पास 5 किडनी
Courtesy: Social Media
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हरियाणा के फरीदाबाद स्थित एक अस्पताल से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां के एक आश्चर्यजनक मामले में, भारतीय रक्षा मंत्रालय के 47 वर्षीय वैज्ञानिक, देवेंद्र बारलेवार, को फरीदाबाद स्थित अमृता अस्पताल में दुर्लभ तीसरे किडनी प्रत्यारोपण की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा. इस सफल सर्जरी के बाद, उनके शरीर में कुल पांच किडनियां हैं, जिनमें से केवल एक किडनी ही काम कर रही है. बता दें कि, यह सर्जरी 9 जनवरी को एक मस्तिष्क-मृत किसान से अंगदान के जरिए हुई. 

तीसरे किडनी प्रत्यारोपण की असाधारण सफलता

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तीसरे किडनी प्रत्यारोपण की प्रक्रिया बेहद असाधारण मानी जा रही है क्योंकि जीवनभर तीन बार मेल खाते हुए अंग दाताओं का मिलना अत्यधिक दुर्लभ है. इस सर्जरी को विशेष रूप से जटिल माना गया क्योंकि इसमें नए अंग के लिए पहले से मौजूद चार किडनियों के बीच अतिरिक्त स्थान बनाने की आवश्यकता थी.

देवेंद्र बारलेवार की किडनी बीमारी से जंग

देवेंद्र की किडनी बीमारी का सिलसिला 2010 में उनके पहले प्रत्यारोपण से शुरू हुआ था, जब उन्होंने अपनी मां से एक किडनी प्राप्त की, जो लगभग एक साल तक काम करती रही. इसके बाद, 2012 में एक रिश्तेदार की दान की गई किडनी ने उन्हें 2022 तक राहत दी, लेकिन कोविड-19 के कारण होने वाली जटिलताओं के बाद उन्हें फिर से डायलिसिस की जरूरत पड़ी.

तीसरे प्रत्यारोपण की सफलता ने बदली किस्मत

यह सर्जरी अमृता अस्पताल के वरिष्ठ कंसल्टेंट और यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख, डॉ. अनिल शर्मा द्वारा की गई। चार घंटे की सर्जरी के बाद, किडनी ने तुरंत काम करना शुरू कर दिया और बारलेवार को 10 दिन में सामान्य किडनी फंक्शन के साथ अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.

सर्जरी के दौरान, तीसरे किडनी को दाएं तरफ ध्यानपूर्वक रखा गया, जो पहले से मौजूद अंगों के बीच फिट किया गया था. सर्जरी में अतिरिक्त चुनौतियां थीं, जिसमें अंग प्रतिरोध और पिछले असफल प्रत्यारोपणों के कारण होने वाले जटिलताएं शामिल थीं.

सर्जरी के बाद नहीं पड़ी डायलिसिस की जरूरत

सर्जरी के बाद, बारलेवार को डायलिसिस की आवश्यकता नहीं पड़ी. 44 किलोग्राम वजन वाले बारलेवार ने इस दुर्लभ स्थिति के लिए भगवान का आभार व्यक्त किया और कहा, "जब एक किडनी प्राप्त करना भी मुश्किल है, तो यह तीसरा मौका मेरे लिए ईश्वर की कृपा जैसा प्रतीत हुआ." वह तीन महीने के आराम के बाद नियमित गतिविधियों में लौटने की योजना बना रहे हैं.