Maharashtra Cabinet: महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल अभी भी पूरी तरह से शांत नहीं हुआ है. सरकार के शपथ ग्रहण के बाद रविवार को विभागों का बंटवारा किया गया. हालांकि इससे महायुति के सहयोगी पार्टियों में असंतुष्टि का माहौल है. इस विस्तारित मंत्रिमंडल में चार महिलाओं को शामिल किया गया है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और एकनाथ शिंदे की उपस्थिति में राज्यपाल सीवी राधाकृष्णन ने समारोह की अध्यक्षता की.
नागपुर के राजभवन में कल यानी रविवार को शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया था. जिसमें चार महिलाएं पंकजा मुंडे, अदिति तटकरे, माधुरी मिसाल और मेघना बोर्डिकर ने भी शपथ ली है. इस समारोह में कुल 39 मंत्रियों ने शपथ ली. जिसमें 33 कैबिनेट मंत्री और 6 ने राज्य मंत्री (एमओएस) के रूप में शपथ लिया. पार्टियों के हिसाब से बात करें तो बीजेपी के 9, शिवसेना (शिंदे गुट) 11 और एनसीपी (अजित पवार गुट ) के 9 विधायक शामिल हैं.
बीजेपी की लोकप्रिय नेता पंकजा मुंडे ने वरिष्ठ मंत्री के रूप में कैबिनेट में जोरदार वापसी की. अपने प्रशासनिक कौशल और जमीनी स्तर पर अपील के लिए जानी जाने वाली मुंडे एक बार फिर महाराष्ट्र के लिए काम करेंगी. उनके शामिल होने से पार्टी की ग्रामीण पहुंच मजबूत होने और हाशिए के समुदायों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की उम्मीद है.
अजीत पवार के गुट से अदिति तटकरे ने कैबिनेट में वापसी की है. उन्होंने पहले पर्यटन और जल संसाधन जैसे विभागों को जिम्मेदारी संभाली है. इस दौरान तटकरे को उनकी प्रशासनिक क्षमताओं के लिए जाना जाता था. अब एक बार फिर से उनका अनुभव पार्टी के लिए काफी सही साबित होगा.
पुणे का प्रतिनिधित्व करने वाली माधुरी मिसाल ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली. उनका सामाजिक कल्याण और महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में पुराना ट्रैक रहा है. उनका समावेश कैबिनेट में शहरी प्रतिनिधित्व बढ़ाने के भाजपा के इरादे को उजागर करता है.
मेघना बोर्डिकर ने भी राज्य मंत्री के रुप में कैबिनेट में एंट्री ली है. बीजेपी की ओर से इस नए और युवा राजनेता को मौका मिला है. बोर्डिकर का कैबिनेट में शामिल होना नई प्रतिभाओं को तैयार करने की भाजपा की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है.
महायुति सरकार इन चारों महिलाओं की मदद से युवाओं और महिलाओं के लिए अच्छे काम करने की कोशिश करेगी. मुंडे और तटकरे जैसे अनुभवी नेता इसमें अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगे. वहीं माधुरी मिसाल और मेघना बोर्डिकर जैसे नए चेहरे कायाकल्प की दिशा में एक कदम हैं. हालांकि इस बार के मंत्रिमंडल में शिंदे गुट की ओर से किसी भी महिला नेता को मौका नहीं मिला. जिसके बाद एक बार एकनाथ शिंदे सवालों के घेरे में हैं. लैंगिक समावेशिता के दृष्टिकोण से निशाना साधा जा राह है.
नए मंत्रिमंडल के गठन से कुछ नेताओं के बीच खुशी की लहर है, हालांकि कुछ पुराने और बड़े नेताओं के बीच टेंशन का माहौल है. बीजेपी के सुधीर मुनगंटीवार को मंत्रियों की सूची में शामिल नहीं किया गया. अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट से छगन भुजबल और दिलीप वाल्से पाटिल जैसे वरिष्ठ नेताओं को उनके अनुभव और प्रभाव के बावजूद बाहर रखा गया. इसी तर, शिवसेना (शिंदे गुट) के दीपक केसरकर को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली. जिससे राजनीतिक गलियारे में हलचल बढ़ गई है. इस मंत्रिमंडल में 18 नए चेहरों को मौका मिला है.