नई दिल्ली: 2023 में जम्मू और कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों की संख्या में 32 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है, जबकि पिछले वर्ष के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा विभिन्न अभियानों में 72 को मार जाने के बावजूद 91 आतंकवादी अभी भी सक्रिय हैं. आंकड़ों के मुताबिक अभी भी सक्रिय 91 आतंकवादियों में से कुल 61 विदेशी आतंकवादी और 30 स्थानीय आतंकवादी शामिल हैं.
जारी किये गए आंकड़ों के मुताबिक 2022 में कुल 135 आतंकवादी सक्रिय थे. इनमें से 85 विदेशी आतंकवादी और 50 स्थानीय आतंकवादी थे. 2022 में सक्रिय आतंकवादियों के आंकड़ों की तुलना में 2023 में सक्रिय आतंकवादियों की संख्या में लगभग 32.59 प्रतिशत की गिरावट आई है. अधिकांश सक्रिय आतंकवादी प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के हैं.जारी आंकड़ों के मुताबिक 2023 में कुल 72 आतंकवादियों को मार गिराया गया. इनमें से 22 स्थानीय आतंकवादी थे और 50 विदेशी आतंकवादी थे. 2022 में कुल 187 आतंकवादियों को मार गिराया गया, जिनमें 130 स्थानीय आतंकवादी और 57 विदेशी आतंकवादी शामिल थे.
कश्मीर घाटी में आतंकवाद से संबंधित हिंसा और स्थानीय भर्ती में काफी कमी आई है, ऐसा लगता है कि आतंकवादियों ने अपना ध्यान जम्मू की ओर स्थानांतरित कर दिया है.अधिकारियों की ओर से साझा की गई जानकारी के मुताबिक कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों में कमी आई है, लेकिन यह भी कहा कि जम्मू क्षेत्र के राजौरी और पुंछ इलाकों में ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ रही है, जिससे मौतें हो रही हैं. यह क्षेत्र जहां वनस्पतियों का घना आवरण है, ऊबड़-खाबड़ इलाका है, सुरक्षा बलों और नागरिकों पर कुछ सबसे घातक हमले देखे गए हैं. हाल की एक घटना में पिछले साल 21 दिसंबर को दोपहर करीब 3.45 बजे राजौरी के पुंछ क्षेत्र में डेरा की गली से गुजर रहे सेना के दो वाहनों पर आतंकवादियों की ओर से की गई. गोलीबारी के बाद शुरू हुई मुठभेड़ में चार सैनिक मारे गए और तीन घायल हो गए.
पिछले साल नवंबर में सेना और उसके विशेष बलों द्वारा राजौरी के कालाकोट में आतंकवाद विरोधी अभियान शुरू करने के बाद कार्रवाई में दो कैप्टन सहित पांच सैनिक मारे गए थे. अप्रैल और मई 2023 में राजौरी-पुंछ क्षेत्र में दोहरे हमलों में 10 सैनिक मारे गए. 2003 से 2021 के बीच यह क्षेत्र काफी हद तक आतंकवाद से मुक्त हो गया था, जिसके बाद लगातार मुठभेड़ होने लगीं. 2021 और 2022 के दौरान क्षेत्र में आतंकवाद विरोधी अभियानों के दौरान कार्रवाई में 35 से अधिक सैनिक मारे गए हैं.