करीब एक दशक की लंबी कानूनी लड़ाई और कूटनीतिक प्रयासों के बाद 26/11 मुंबई हमलों के सह-साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर गुरुवार (10 अप्रैल) को भारत लाया गया. नई दिल्ली पहुंचते ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उसे गिरफ्तार कर लिया. जहां पाकिस्तान में जन्मा कनाडाई नागरिक राणा, अपने बचपन के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली की मदद से इस घातक हमले की योजना में शामिल था.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि तहव्वुर राणा को भारत लाया गया है, लेकिन असली मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली अब भी अमेरिका की जेल में बंद है और भारत के कई प्रत्यर्पण अनुरोधों के बावजूद उसे सौंपने से अमेरिका इनकार करता रहा है. एक्सपर्ट की मानें तो राणा एक "छोटा खिलाड़ी" था, जबकि हेडली ने भारत में 8 बार दौरे कर हमले के ठिकानों की रेकी की थीय
हेडली: अमेरिकी और पाक खुफिया एजेंसियों का डबल एजेंट?
इस मामले में पूर्व गृह सचिव जी.के. पिल्लै का कहना है, “डेविड कोलमैन हेडली अमेरिका और पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) दोनों के लिए डबल एजेंट था. साल” 2016 में हेडली ने टाडा कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बयान देते हुए माना था कि उसे लश्कर और ISI से फंडिग मिली थी, जिसका इस्तेमाल भारत में आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए किया गया था.
क्या राणा की गवाही से हेडली के प्रत्यर्पण की उम्मीद जगेगी?
अब जब तहव्वुर हुसैन राणा भारत में है, विशेषज्ञों का मानना है कि उसकी गवाही से भारत को हेडली के खिलाफ नए प्रमाण मिल सकते हैं. इस दौरान वरिष्ठ वकील नरेंद्र मान, जिन्हें राणा के मुकदमे के लिए विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया है, उन्हें हेडली के खिलाफ भी अभियोजन चलाने की जिम्मेदारी मिलेगी.
अमेरिका की दोहरी नीति पर उठ रहे सवाल
इस मामले को लेकर पूर्व IPS अधिकारी यशवर्धन झा आजाद का कहना है कि, “हेडली, अमेरिका की 'डीप स्टेट' का प्यादा बन गया और अब एक आरामदायक जेल में दिन काट रहा है.
क्या भारत का संघर्ष अब रंग लाएगा?
इस दौरान भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “डेविड कोलमैन हेडली पर कोई नया अपडेट नहीं है, यह मामला अब भी चल रहा है. इससे साफ हो गया है कि भारत ने अब भी उम्मीद नहीं छोड़ी है. ऐसे में राणा की गिरफ्तारी से भारत को 26/11 हमलों के पीछे की असल साजिश को उजागर करने का नया मौका मिला है.