NIA Action On Tahawwur Rana: 26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंडों में से एक तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत लाए जाने के बाद एनआईए मुख्यालय की एक अति सुरक्षित कोठरी में रखा गया है. उसे 'आत्महत्या की निगरानी' के विशेष प्रावधान के तहत 24x7 सीसीटीवी और मानवीय निगरानी में रखा गया है.
हाई अलर्ट में एनआईए मुख्यालय, पूछताछ शुरू
बता दें कि राणा को लोधी रोड स्थित एनआईए बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर 14x14 फीट की एक अलग कोठरी में रखा गया है. सूत्रों के मुताबिक, उसे सिर्फ सॉफ्ट-टिप पेन ही इस्तेमाल करने की इजाजत है ताकि वह खुद को नुकसान न पहुंचा सके. एनआईए ने शुक्रवार से उससे पूछताछ शुरू कर दी है, जिसका मकसद हमले के पीछे की गहरी साजिश और उसके आईएसआई से रिश्तों को उजागर करना है.
डेविड हेडली के लिंक और स्लीपर सेल पर भी ध्यान
वहीं पूछताछ का मुख्य फोकस राणा के सहयोगी डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी से जुड़े नेटवर्क, भारत में स्लीपर सेल्स की गतिविधियों और संभावित भर्ती ठिकानों पर है. सूत्रों का कहना है कि हेडली ने पुष्कर, गोवा और दिल्ली जैसे शहरों में स्लीपर सेल सक्रिय करने की कोशिश की थी.
कांग्रेस का दावा - UPA के प्रयासों का नतीजा है प्रत्यर्पण
बताते चले कि राणा के प्रत्यर्पण को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधा. पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा, ''यह किसी दिखावे का नतीजा नहीं, बल्कि यूपीए के समय से जारी कूटनीतिक, कानूनी और खुफिया प्रयासों का परिणाम है.'' उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया 2009 में एनआईए द्वारा दर्ज मामले से शुरू हुई थी और इसमें विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और विदेश सचिव रंजन मथाई ने अमेरिका से कई दौर की बातचीत की थी.
वहीं आगे चिदंबरम ने यह भी जोड़ा कि, ''जब कूटनीति और कानून प्रवर्तन बिना शोर-शराबे के ईमानदारी से किया जाए, तभी देश को असली सफलता मिलती है.''
सरकार बदलने के बाद भी जारी रहा प्रयास
इसके अलावा, कांग्रेस ने दावा किया कि 2014 में सरकार बदलने के बाद भी यूपीए द्वारा शुरू की गई इंस्टीटूशनल प्रोसेस चलती रही, जिससे यह केस सक्रिय बना रहा. फरवरी 2025 में जब पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इस मुद्दे पर बात की, तब यह पूरे प्रकरण का अंतिम चरण था.