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महाराष्ट्र: भ्रष्टाचार आरोप में 173 कर्मचारी नहीं हुए निलंबित: ACB

महाराष्ट्र में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की एक हालिया रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2012 से लेकर 2025 तक भ्रष्टाचार के मामलों में जांच का सामना कर रहे 173 सरकारी कर्मचारियों को अब तक निलंबित नहीं किया गया.

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Edited By: Shilpa Srivastava
investigation on corruption charges in Maharashtra

महाराष्ट्र में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की एक हालिया रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2012 से लेकर 2025 तक भ्रष्टाचार के मामलों में जांच का सामना कर रहे 173 सरकारी कर्मचारियों को अब तक निलंबित नहीं किया गया. रिपोर्ट के अनुसार, 1 जनवरी 2012 से 31 जनवरी 2025 तक भ्रष्टाचार के मामलों में कई फर्स्ट, सेकंड, थर्ड और फोर्थ क्लास के अधिकारियों की जांच हुई, लेकिन उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. 

आंकड़ों के मुताबिक, फर्स्ट कैटेगरी के 30 अधिकारी, सेकंड कैटेगरी के 29 अधिकारी, थर्ड कैटेगरी के 106 कर्मचारी और फोर्थ कैटेगरी के 8 कर्मचारी हैं. राज्यभर में भ्रष्टाचार के सबसे अधिक मामले मुंबई में दर्ज हुए. ACB की रिपोर्ट के अनुसार: मुंबई रेंज- 46 मामले, ठाणे- 38 मामले, औरंगाबाद- 22 मामले, पुणे- 18 मामले, नासिक- 16 मामले, नागपुर- 12 मामले, अमरावती- 11 मामले, नांदेड़- 10 मामले हैं. 

शिक्षा विभाग में सबसे ज्यादा निलंबन लंबित: 

रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि निलंबन के सबसे अधिक 41 मामले शिक्षा और खेल विभाग में लंबित हैं. इसके अलावा शहरी विकास विभाग (नगर परिषद एवं नगर निगम) - 36 मामले, पुलिस-जेल और होम गार्ड विभाग- 25 मामले हैं. 

22 दोषी सरकारी कर्मचारी अब तक बर्खास्त नहीं: 

रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी ठहराए गए 22 सरकारी कर्मचारियों को अब तक बर्खास्त नहीं किया गया. इनमें से अधिकांश तृतीय कैटेगरी के अधिकारी हैं, जिनके खिलाफ कार्रवाई न होने से प्रशासनिक तंत्र की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं.

ACB की इस रिपोर्ट के बाद अब राज्य सरकार पर सवाल उठने लगे हैं. भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी अधिकारियों पर इतनी धीमी कार्रवाई क्यों? क्या सरकार इन भ्रष्ट कर्मचारियों पर ठोस कार्रवाई करेगी या यह रिपोर्ट भी सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह जाएगी?