नया परिसीमन, 370 का खात्मा और नए समीकरण, कितना बदल गया है जम्मू-कश्मीर का लोकसभा चुनाव?
Jammu Kashmir Lok Sabha Seats: जम्मू-कश्मीर की 5 लोकसभा सीट पर हो रहे चुनाव इस बार काफी रोमांचक हो गए हैं क्योंकि 2019 की तुलना में इस बार बहुत कुछ बदला हुआ नजर आ रहा है.
जम्मू-कश्मीर को समझने से पहले हमें सबसे पहले उसके नक्शे को समझना चाहिए. मौजूदा समय में भारत के नक्शे में दिखाए जाने वाले हिस्सों में कुछ हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में है, जिसे पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) कहा जाता है. 2019 के बाद एक हिस्सा लद्दाख है जो अब एक अलग केंद्र शासित प्रदेश है. संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के बाद से बहुत कुछ बदला है. जम्मू-कश्मीर में नए सिरे से परिसीमन हुआ है और विधानसभा और लोकसभा की सीटों की संख्या तो उतनी ही है लेकिन समीकरण बदल गए हैं.
नए सिरे से हुए इस परिसीमन के मुताबिक, 90 में से सात सीटें SC के लिए और 9 सीटें ST के लिए आरक्षित होंगी. परिसीमन के बाद चुनाव आयोग ने कहा था कि पहले कुछ विधानसभा क्षेत्र अलग-अलग जिलों में फैले हुए थे, अब यह सुनिश्चित किया गया है कि कोई भी विधानसभा क्षेत्र एक ही जिले में सीमित रहे. ऐसी ही कुछ कोशिशें लोकसभा सीटों का क्षेत्र बदलते समय भी कई गई थीं. बता दें कि भारत पीओके को अपना हिस्सा मानता है इसलिए 24 सीटें वहां के लिए भी रखी गई हैं. पहले भी वहां की सीटें होती थीं लेकिन उन पर चुनाव नहीं होते थे. अभी भी इन सीटों पर भारत का कब्जा न होने की वजह वहां भारत की ओर से चुनाव का आयोज नहीं होता है.
परिसीमन से क्या बदला?
नए परिसीमन में जम्मू और कश्मीर की सीटों की संख्या में बदलाव हुआ है. पहले जम्मू की सीटें 37 थीं जो अब बढ़कर 43 हो गई हैं. वहीं, कश्मीर में कुल 46 सीटें थीं जो बढ़कर 47 हो गई हैं. पहले 7 विधानसभा सीटें लद्दाख की हुआ करती थीं लेकिन अब वह जम्मू-कश्मीर का हिस्सा नहीं है. पहले जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान होने के चलते SC-ST के लिए सीटें आरक्षित नहीं थीं. अब कुल 16 सीटें आरक्षित हो गई हैं जिनके चलते गुर्जर बकरवाल मतदाताओं की अहमियत अचानक से बढ़ गई है. इसके अलावा, कश्मीरी पंडित भी एक नई ताकत बनकर उभरे हैं.
लोकसभा सीटों पर कितना असर?
लोकसभा सीटों के हिसाब से देखें तो पांच में से तीन लोकसभा सीटों के क्षेत्र में बदलाव किया गया है. जम्मू में आने वाले पीर पंजाल क्षेत्र को अब अनंतनाग सीट में जोड़ दिया गया है और अब इसका नाम अनंतनाग-राजौरी कर दिया गया है. वहीं, श्रीनगर लोकसभा सीट के शिया बहुल क्षेत्र को बारामूला में ट्रांसफर कर दिया गया है और श्रीनगर का क्षेत्र अब पहले की तुलना में बदल गया है.
पहले अनंतनाग सीट पर अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या कम थी. अब पुंछ और राजौरी के भी अनंतनाग में शामिल हो जाने से यहां पर यहां गणित बदल गया है. माना जाता है कि इस प्रयास के जरिए मुस्लिम मतदाताओं का प्रभाव कम करने की कोशिश की जा रही है. वहीं, बारामूला लोकसभा सीट में श्रीनगर के कुछ इलाके शामिल किए जाने के बाद कहा जा रहा है कि इस सीट पर शिया मतदाता मजबूत स्थिति में आ गए हैं.
वोटिंग पर्सेंट बढ़ने से सब हैरान
अभी तक जम्मू, ऊधमपुर और श्रीनगर में वोटिंग हो चुकी है. कश्मीर क्षेत्र में आने वाली श्रीनगर लोकसभा सीट पर हुई वोटिंग ने हर किसी को हैरान कर दिया है. तीन दशक में पहली बार ऐसा हुआ है कि श्रीनगर सीट पर 38 प्रतिशत वोटिंग हुई है. 2019 की बात करें तो श्रीनगर में सिर्फ 7.7 प्रतिशत वोटिंग हुई थी जबकि इस बार श्रीनगर जिले में 24.71 प्रतिशत वोटिंग हुई है. वहीं पुलवामा में 2 प्रतिशत प्रतिशत से बढ़कर 42 प्रतिशत, गांदरबल में 17.6 प्रतिशत से बढ़कर 53.02 प्रतिशत और शोपियां में 2.88 प्रतिशत से बढ़कर 47 प्रतिशत हो गया है.
अब बारामूला में 20 मई और अनंतनाग-राजौरी में 25 मई को वोटिंग होने जाज रही है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि शायद पहली बार जम्मू-कश्मीर में वोटिंग का प्रतिशत 1966 के बाद पहली बार 50 प्रतिशत को पार कर जाएगा. इसे केंद्र की सत्ता पर काबिज बीजेपी इस तरह से प्रचारित कर रही है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद शांति आई है, इसी के चलते वोटिंग में इजाफा हुआ है.
जम्मू कश्मीर में 2024 में लोकसभा की सीटें
जम्मू
ऊधमपुर
अनंतनाग-राजौरी
श्रीनगर
बारामूला