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India Daily

13 महीने पहले ही लिखी जा चुकी थी बवाल की स्क्रिप्ट? जानें हल्द्वानी हिंसा की पूरी कहानी

हल्द्वानी में हुई हिंसा के बाद पूरे उत्तराखंड को हाई अलर्ट पर रखा गया है. हिंसा में अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 200 से ज्यादा लोग पथराव में घायल हुए हैं. फिलहाल, ऐहतियातन इलाके में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है. पुलिस हिंसा के आरोपियों को चिन्हित करने में जुटी हुई है.

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Edited By: Om Pratap
​​Haldwani violence Timeline

​​Haldwani violence Timeline: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता यानी UCC के लागू होने के 24 घंटे के अंदर ही बड़ा बवाल हो गया. कहा जा रहा है कि इस बवाल की स्क्रिप्ट 13 महीने पहले यानी जनवरी 2023 में ही लिखी गई थी. दरअसल, एक जनवरी 2023 को जब पूरी दुनिया नए साल का जश्न मना रही थी, तब उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके से ही एक खबर आई कि रेलवे स्टेशन के पास अवैध कॉलोनियों को हटाया जाएगा. इन कॉलोनियों में 4 हजार से ज्यादा परिवार रहते थे, जिन्हें घर खाली करने के लिए नोटिस देने की बात कही गई.

कहा गया कि उत्तराखंड हाई कोर्ट की ओर से करीब 21 दिसंबर को बनभूलपुरा इलाके में रेलवे की भूमि पर बने अवैध निर्माण को हटाने का आदेश जारी किया गया था. सूत्रों के मुताबिक, इस जमीन पर करीब 20 मस्जिद और 9 मंदिर भी बनाए गए थे. इज्जत नगर के रेलवे पीआरओ राजेंद्र सिंह के मुताबिक, अवैध कॉलोनी को खाली करने के लिए एक हफ्ते यानी सात दिन का समय दिया गया था. रेलवे की ओर से बताया गया था कि रेलवे की जमीन पर बने कुल 4 हजार 365 ढांचे हैं, जिन्हें हटाने के लिए समाचार पत्रों के जरिए नोटिस दिया गया था. रेलवे ने ये भी कहा कि मामले को लेकर एक दशक तक कोर्ट में सुनवाई चली, जिसके बाद कोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया. 

फैसले का विरोध, कैंडल मार्च भी निकाला

मामले की जानकारी के बाद रेलवे की 2.2 किलोमीटर लंबी पट्टी पर बनी अवैध कॉलोनी में रहने वाले लोगों ने सरकारी फरमान का विरोध किया. हजारों निवासियों ने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए कैंडल मार्च भी निकाला. कहा गया कि हम सभी बेघर हो जाएंगे. कुछ परिवारों ने तो यहां तक दावा किया कि वे 40-50 सालों से घर बनाकर रह रहे हैं. लोगों की विरोध की आवाज दिल्ली तक पहुंची और फिर सुप्रीम कोर्ट में मामले को लेकर सुनवाई हुई.

5 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे की जमीन पर रहने वाले 4 हजार परिवारों के करीब 50 हजार लोगों को बड़ी राहत देते हुए उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय कौल ने कहा कि मामले को मानवीय नजरिए से भी देखा जाना चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि सरकार को पहले इन लोगों के लिए पुनर्वास योजना लानी चाहिए थी. उन्होंने ये भी कहा कि अगली सुनवाई फरवरी में होगी. फरवरी में सुनवाई के दौरान फिर से सुप्रीम कोर्ट ने 8 हफ्ते के लिए कार्रवाई पर रोक लगाते हुए 2 मई 2023 को सुनवाई की बात कही. 2 मई को सुनवाई के बाद कोर्ट ने फिर 20 अगस्त को सुनवाई की बात कही. लेकिन जज नहीं मिल पाने के चलते सुनवाई नहीं हो पाई. तब से अब तक कोई नई तारीख नहीं मिल पाई है.

2013 में भी उठा था अतिक्रमण का मुद्दा

जनवरी 2023 में पहली बार नहीं था, जब बनभूलपुरा में अतिक्रमण का मामला सामने आया था. इससे पहले 2013 में भी ये मुद्दा कोर्ट के पास पहुंचा था. दरअसल, उस दौरान उत्तराखंड हाई कोर्ट में एक पीआईएल यानी जनहित याचिका दाखिल की गई. कहा गया कि हल्द्वानी में बहने वाली गोला नदी में अवैध खनन होता है. गोला नदी हल्द्वानी रेलवे स्टेशन और रेल पटरी के पास ही बहती है. पीआईएल में कहा गया था कि रेलवे की जमीन पर बसी बस्ती के लोग गोला नदी में अवैध खनन करते हैं. अवैध खनन की वजह से रेल की पटरियों को और गोला पुल को खतरा है.

मामला आगे खिसकता गया और 2017 में रेलवे ने उत्तराखंड सरकार के साथ मिलकर एक सर्वे किया, जिसमें 4365 अवैध कब्जों को चिन्हित किया गया. फिर उत्तराखंड हाई कोर्ट में एक रिट पिटिशन दाखिल की गई. फिर मार्च 2022 में हाई कोर्ट की ओर से नैनीताल जिला प्रशासन को रेलवे के साथ मिलकर अवैध कब्जों को हटाने के लिए प्लानिंग का निर्देश दिया. फिर रेलवे ने उत्तराखंड हाई कोर्ट में अतिक्रमण हटाने के संबंध में प्लान दाखिल की गई. 20 दिसंबर 2022 को रेलवे को उत्तराखंड हाई कोर्ट निर्देश दिया कि एक हफ्ते का नोटिस देकर भूमि से अवैध अतिक्रमण को तत्काल हटाया जाए.

जहां रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जा, वहीं भड़की हिंसा

दरअसल, गुरुवार को उसी इलाके में हिंसा भड़की, जहां रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जे का मामला कोर्ट में लंबित है. दरअसल, कल यानी गुरुवार को हल्द्वानी के बनभूलपुरा में उस वक्त हिंसा भड़क गई, जब नगर निगम और पुलिस की टीम अतिक्रमण हटाने पहुंची. पुलिस और नगर निगम की टीम को देखते ही उपद्रवियों ने सड़क पर उतरकर आगजनी की. इस दौरान कई गाड़ियों, दुकानों को आग लगा दी और जमकर तोड़फोड़ की. मामले की गंभीरता को देखते हुए नैनीताल जिले के जिलाधिकारी ने प्राभावित इलाकों में कर्फ्यू का ऐलान कर दिया है. दंगाईयों को देखते ही गोली मारने के आदेश भी जारी किए गए हैं. 

शुक्रवार सुबह यानी आज प्रभावित इलाके के कई हिस्सों में सुरक्षा बढ़ा दी गई. सड़कों पर उत्तराखंड पुलिस गश्त करती दिखी. हालात को देखते हुए इंटरनेट को बंद कर दिया गया है. पुलिस आरोपियों को चिन्हित करने में जुटी हुई है. मुख्य शिक्षा अधिकारी नैनीताल ने कहा है कि हल्द्वानी के सभी तरह के स्कूल कक्षा 1 से 12 तक आज यानि 9 फरवरी 2024 को बंद रहेंगे. इसमें राजकीय, सहायता प्राप्त, मान्यता प्राप्त, सीबीएसई, आंगनवाड़ी केंद्र भी शामिल हैं.

हल्द्वानी के बनभूलपुरा में हिंसा की घटना में अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 200 से अधिक लोग घायल हैं, जिनमें 100 से अधिक पुलिसकर्मी हैं. राज्य एडीजी (कानून एवं व्यवस्था) एपी अंशुमान ने इसकी पुष्टि की है. वहीं, गुरुवार देर शाम उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हल्द्वानी मामले में हाई लेवल मीटिंग बुलाई. मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के साथ स्थिति की समीक्षा की. मुख्यमंत्री ने लोगों से शांति बनाये रखने की अपील की और अराजक तत्वों से सख्ती से निपटने के निर्देश दिये. 

आखिर क्यों भड़की हिंसा?

दरअसल, हल्द्वानी शहर में अवैध मदरसों के खिलाफ अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जा रहा है. गुरुवार सुबह नगर निगम और पुलिस की टीम बनभूलपुरा इलाके के 'मलिक के बगीचे' में अवैध मदरसे और नमाज स्थल पर एक्शन के लिए पहुंची. नगर निगम और पुलिस की टीम को देख अराजक तत्वों ने पथराव शुरू कर दिया. पथराव में पुलिसकर्मी, नगर निगम कर्मी समेत कई अन्य घायल हो गए. पथराव के बाद उपद्रवियों ने पुलिस की कई गाड़ियों में भी आग लगाई. 

बेकाबू हालात को देख कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए अतिरिक्त बल को हल्द्वानी बुलाया गया. पुलिस फोर्स की ओर से हवाई फायरिंग की गई और अराजक तत्वों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए. कार्रवाई के लिए पहुंचे नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय ने बताया कि मदरसे का निर्माण पूरी तरह अवैध था. तीन एकड़ जमीन पर पहले ही नगर निगम ने कब्जा ले लिया था. इसके बाद मदरसे को सील कर दिया गया था, जिसे आज ध्वस्त कर दिया गया. 

एक नजर में बनभूलपुरा

बनभूलपुरा इलाका आजादी के वक्त यानी 1947 में बसा. यहां की करीब 82 एकड़ जमीन विवादित है, जिस पर 4000 परिवार रहते हैं. विवादित इलाके में 2 पानी की टंकी, 2 इंटर कॉलेज, 5 प्राइमरी स्कूल, 15 प्राइवेट स्कूल, 1 धर्मशाला, 1 सामुदायिक केंद्र, 15 से 20 मस्जिद मदरसा, 1 अस्पताल भी है.