World Cancer Day 2025: हर साल 4 फरवरी के दिन वर्ल्ड कैंसर डे मनाया जाता है. इस दिन का उद्देश्य कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाना और इस बीमारी से जूझ रहे लोगों की मदद करना है. इस दिन को मनाने का मकसद कैंसर के कारणों, उसकी पहचान, इलाज और बचाव के बारे में लोगों को शिक्षित करना है.
कैंसर के खतरे से बचने के लिए हम में से कई लोग अपनी आदतें बदलते हैं, लेकिन कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें हम अनजाने में करते हैं और ये कैंसर का खतरा बढ़ा सकती हैं. चलिए जानते हैं आदतों के बारे में जिसके कारण कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.
सॉसेज, बेकन, हॉट डॉग और डेली मीट जैसे प्रोसेस्ड मांस के सेवन से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है, खासकर कोलन कैंसर का. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने इन मीट प्रोडक्ट्स को ग्रुप 1 कार्सिनोजेन (जो कैंसर का कारण बन सकते हैं) के रूप में वर्गीकृत (classified) किया है. इनमें नाइट्रेट्स जैसे टॉक्सिक प्रोडक्ट होते हैं जो समय के साथ हमारे सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं
आपके घर को साफ करने के लिए जो क्लीनिंग प्रोडक्ट्स आप इस्तेमाल करते हैं, उनमें कुछ केमिकल्स हो सकते हैं जो आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं. फथलेट्स और बेंजीन जैसे केमिकल्स जो इन प्रोडक्ट्स में होते हैं, ल्यूकेमिया और लिंफोमा जैसी खतरनाक बीमारी पैदा कर सकते हैं. 2021 में एक स्टडी में पाया गया कि इन केमिकल्स से लॉन्ग टर्म कॉन्टैक्ट से इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.
हम सभी जानते हैं कि धूम्रपान से कैंसर का खतरा होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि वायु प्रदूषण भी इसे बढ़ा सकता है? पीएम 2.5 जैसी हानिकारक कणों (particles) के संपर्क में आने से लंग कैंसर का खतरा बढ़ सकता है, यहां तक कि जो लोग धूम्रपान नहीं करते, उन पर भी इसका असर हो सकता है. 2023 में हुए एक स्टडी में यह पाया गया कि वायु प्रदूषण लंग कैंसर का दूसरा सबसे बड़ा कारण है.
लाल मांस जैसे बीफ, पोर्क, और मटन का ज्यादा सेवन भी कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है, खास रूप से कोलन कैंसर का. अमेरिकन इंस्टीट्यूट फॉर कैंसर रिसर्च के अनुसार, लाल मांस खाने से इसोफेगल, लिवर और लंग कैंसर का खतरा 20% से 60% तक बढ़ सकता है.
आजकल अधिकांश लोग अपने दिन का एक बड़ा हिस्सा स्क्रीन के सामने बिताते हैं, चाहे वह काम हो, मनोरंजन हो या सोशल मीडिया पर समय बिताना हो. हालांकि स्क्रीन टाइम और कैंसर के बीच सीधा संबंध अभी रिसर्च किया जा रहा है, लेकिन 2022 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ द्वारा किए गए एक स्टडी में पाया गया कि रात के समय नीली रोशनी (ब्लू लाइट) के संपर्क में आने से मेलाटोनिन का उत्पादन प्रभावित हो सकता है, जो एक हार्मोन है और कैंसर से बचाव में मदद करता है. इस बदलाव से स्तन और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.
यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.