Most Controversial Film: 1975 में रिलीज हुई इतालवी फिल्म 'सालो, या 120 डेज ऑफ सोडोम', डायरेक्टर पियरे पाओलो पासोलिनी की बनाई गई थी. यह फिल्म मार्क्विस डी साडे के उपन्यास 'द 120 डेज ऑफ सोडोम' पर आधारित थी, जिसे फासीवादी इटली के संदर्भ में दिखाया गया था. फिल्म में चार धनी और भ्रष्ट व्यक्तियों के 18 किशोरों की भीषण यातना और शोषण को दिखाया गया था.
'सालो' की हिंसा, नग्नता और यौन उत्पीड़न के सीन की वजह से इसे कई देशों में बैन किया गया. इटली, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, और भारत सहित लगभग 100 देशों में इस फिल्म पर सेंसरशिप लागू की गई. ऑस्ट्रेलिया में इसे 1976 में अश्लीलता के कारण बैन किया गया था, लेकिन 1993 में इसे R18+ रेटिंग के साथ रिलीज किया गया, जिसे 1998 में फिर से बैन कर दिया गया. न्यूज़ीलैंड में भी इसे 1976 में बैन किया गया था, लेकिन 2001 में DVD रिलीज के साथ इसे R18 रेटिंग दी गई.
'सालो' को लेकर आलोचक और दर्शक दोनों में मिले जुले रिएक्शन मिले हैं. न्यू यॉर्क टाइम्स के विन्सेंट कैनबी ने इसे 'मानवीय भावना को अमानवीय बनाने वाली फिल्म' बताया. वहीं, कुछ आलोचकों ने इसे सत्ता, राजनीति और कामुकता के बारे में गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करने वाली फिल्म माना. रोजर एबर्ट ने स्वीकार किया कि उन्होंने इसे नहीं देखा, जबकि टाइम आउट फिल्म गाइड ने कहा कि यह 'बेहद परेशान करने वाली है और सचमुच उल्टी करने वाली है'.
फिल्म की रिलीज से कुछ हफ्ते पहले, 2 नवंबर 1975 को पियरे पाओलो पासोलिनी की हत्या कर दी गई. उन्हें बुरी तरह पीटा गया और उनकी अपनी कार से कुचल दिया गया. पोस्टमार्टम से पता चला कि उनकी हड्डियां टूटी हुई थीं और जननांग कुचले गए थे. यह हत्या आज तक अनसुलझी रही है, लेकिन यह माना जाता है कि यह माफिया या जबरन वसूली करने वाले ने की थी.
हालांकि 'सालो' को लेकर विवाद रहे हैं, लेकिन समय के साथ इसे एक पंथ फिल्म के रूप में स्वीकार किया गया है. IMDb पर इसकी रेटिंग 5.8 है और रॉटन टोमाटोज पर 70% से अधिक है. हालांकि इसकी सामग्री के कारण यह स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध नहीं है, लेकिन 2011 में इसका ब्लूरे वर्जन रिलीज किया गया था.