Vikrant Massey Birthday: मां सिख, पिता ईसाई, भाई इस्लाम... खुद किस धर्म को मानते हैं विक्रांत मैसी?
आज 3 अप्रैल को '12th फेल' एक्टर विक्रांत मैसी अपना जन्मदिन मना रहे हैं. एक्टर की मां सिख, पिता ईसाई, इस्लाम धर्म अपनाने वाला भाई, और हिंदू पत्नी शामिल हैं. हालांकि, बेहद लोग ये भी जानना चाहते हैं कि एक्टर खुद कौन-सा धर्म फॉलो करते हैं.
Vikrant Massey Birthday: बॉलीवुड एक्टर विक्रांत मैसी अपनी '12 फेल' और 'सेक्टर 37' जैसी फिल्मों की सफलता के लिए जाने जाते हैं. आज 3 अप्रैल को एक्टर अपना जन्मदिन मना रहे हैं. इससे पहले एक्टर ने अपने परिवार के बारे में जानकारी साझा की, जिसमें उन्होंने बताया कि उनकी मां सिख, पिता ईसाई, इस्लाम धर्म अपनाने वाला भाई, और हिंदू पत्नी शामिल हैं. हालांकि, बेहद लोग ये भी जानना चाहते हैं कि एक्टर खुद कौन-सा धर्म फॉलो करते हैं.
अनफिल्टर्ड बाय समदिश के एक एपिसोड में मैसी ने बताया कि उनका पालन-पोषण धर्म और आध्यात्मिकता पर बहस और चर्चाओं से भरा हुआ था. उनके भाई मोइन ने 17 साल की उम्र में इस्लाम धर्म अपना लिया था, इस फैसले का परिवार ने पूरा साथ किया था.
विक्रांत मैसी के भाई ने बदला धर्म
अपने भाई के बारे में बात करते हुए विक्रांत ने कहा, 'उसका नाम मोइन है. मेरा नाम विक्रांत है. आपने सोचा होगा कि उसका नाम मोइन क्यों रखा गया? उसने इस्लाम धर्म अपना लिया. मेरे परिवार ने उसे अपना धर्म बदलने दिया. वे कहते थे, 'बेटा, अगर तुम इससे खुश हो, तो तुम यह करो.' उसने 17 साल की उम्र में यह किया.'
इसके बाद उन्होंने कहा, 'मेरी मां सिख हैं. मेरे पिता चर्च जाने वाले ईसाई हैं. वह चर्च जाते हैं. मैंने बहुत छोटी उम्र से ही धर्म और आध्यात्मिकता से जुड़ी कई समस्याएं देखी हैं. मेरे पिता से मेरे दूर के रिश्तेदारों ने सवाल किए. उन्होंने उनसे पूछा, 'आप ऐसा कैसे होने दे सकते हैं?' मेरे पिता ने कहा, 'यह आपका कोई काम नहीं है. वह मेरा बेटा है, वह केवल मेरे लिए जवाबदेह है, उसे जो भी पसंद हो, उसे चुनने का पूरा अधिकार है.' '12वीं फेल' एक्टर ने कहा, 'इसलिए यह सब देखने के बाद, मैं अपनी खोज पर निकल पड़ा. मुझे एहसास हुआ कि धर्म मानव निर्मित है.'
किस धर्म को मानते हैं विक्रांत मैसी
मैसी ने शीतल ठाकुर से शादी की है, जो हिंदू धर्म को मानती हैं, और वह एक बेटे के पिता भी हैं. मैसी का लक्ष्य अपने बेटे को तर्कवाद सिखाना है. हालांकि, वह सांस्कृतिक जुड़ाव के कारण हिंदू परंपराओं का सम्मान करते हैं, लेकिन उनका कहना है कि इसके लिए धार्मिक होने की जरूरत नहीं है. उनका मानना है कि यह भारत के बहुसंख्य लोगों की संस्कृति है, और इसलिए, वे दिवाली जैसे त्योहार मनाते हैं, जिसे वे धार्मिक दायित्व के बजाय अपनी सांस्कृतिक स्मृति का हिस्सा मानते हैं.
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