Ustad Zakir Hussain: उस्ताद जाकिर हुसैन, भारतीय तबला संगीत के सबसे बड़े नामों में से एक, का 15 दिसंबर को 73 साल की उम्र में सैन फ्रांसिस्को में निधन हो गया. जाकिर हुसैन का संगीत के लिए प्रेम बचपन से ही था, और उनका संगीत का सफर अनोखा और खास है.
जाकिर हुसैन की संगीत यात्रा उनके पिता, उस्ताद अल्लाह रक्खा से शुरू हुई. उनके पिता तबला के एक महान उस्ताद थे, और जब जाकिर महज डेढ़ दिन के थे, तब उन्होंने अपने बेटे को पहली बार ताल की धुन सुनाई. यह पहला संपर्क ही जाकिर की संगीत यात्रा की नींव बना. जाकिर हुसैन ने कभी भी महंगे उपकरणों की तलाश नहीं की. बचपन में वे घर के बर्तनों जैसे थाली और कटोरियों पर भी तबला बजाते थे, और इस दौरान कई बार बर्तन गिर भी जाते थे, लेकिन उनकी कलात्मकता में कभी कोई रुकावट नहीं आई.
उस्ताद जाकिर हुसैन ने अपनी पहली तबला परफॉर्मेंस महज 11 साल की उम्र में की थी, और उन्होंने मात्र 5 रुपये कमाए थे. यह उनकी शुरुआती मेहनत और समर्पण को दर्शाता है. इसके बाद, उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपनी कला को वैश्विक लेवल पर प्रस्तुत किया. इसके अलावा, उस्ताद जाकिर हुसैन ने 12 से ज्यादा फिल्मों में काम किया, जिसमें उन्होंने अभिनय भी किया.
जाकिर हुसैन की सफलता ने उन्हें दुनिया भर में ख्याति दिलाई, और उनकी संपत्ति भी उनकी मेहनत का परिणाम है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उनकी नेट वर्थ लगभग 10 लाख डॉलर यानी 8 करोड़ रुपये के आसपास है. एक कॉन्सर्ट के लिए उस्ताद जाकिर हुसैन 8-10 लाख रुपये तक चार्ज करते हैं.
उस्ताद जाकिर हुसैन की कला की कद्र सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि दुनिया भर में की जाती है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी उन्हें व्हाइट हाउस बुलाकर अपने ऑल-स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में हिस्सा लेने का सम्मान दिया था. उनके बजाए गए तबले की ध्वनि और कला ने लाखों लोगों को प्रभावित किया. उनकी संगीत यात्रा और योगदान को हमेशा याद किया जाएगा, और उनके फैंस उनके निधन पर शोक व्यक्त कर रहे हैं.