मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में यौन शोषण को लेकर जारी विवाद के बीच अब तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री में भी खलबली मच गई है. तेलंगाना सरकार द्वारा 2019 में तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए गठित की गई उप समिति की रिपोर्ट में फिर से सुर्खियों में है. इस रिपोर्ट में सामने आया है कि तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं, खासकर जूनियर आर्टिस्ट्स की एंट्री ऐसी कठिन शर्तें के साथ ही हो पाती है, जिनमें सेक्सुअल फेवर की मांग मुख्य है. दरअसल यह रिपोर्ट जून 2022 में सरकार को सौंपी गई थी लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की सरकार ने इसे सार्वजनिक नहीं किया. मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में हाल ही में हुए हंगामे के बाद अब इस रिपोर्ट की फिर से चर्चा शुरू हो गई है.
तेलुगु फिल्म उद्योग में कथित यौन उत्पीड़न और लैंगिक भेदभाव पर राज्य सरकार को एक उप-समिति द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने के दो साल बाद, समिति के एक सदस्य ने कहा है कि रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का समय आ गया है. 'पिछली बीआरएस सरकार द्वारा 2019 में वरिष्ठ अधिकारियों, पुलिस और नागरिक समाज के सदस्यों के साथ गठित समिति का हिस्सा रहीं ए सुनीता ने टीओआई को बताया. रिपोर्ट सौंपने के बाद सरकार को 3-4 बार याद दिलाने के बावजूद, हमें रिपोर्ट सार्वजनिक करने पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली.'
मलयालम फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न पर हेमा समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक डोमेन में (19 अगस्त को) आने के साथ, टॉलीवुड पर समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की महिला अभिनेताओं की मांगें तेजी से बढ़ रही हैं, जिसमें सामंथा रूथ प्रभु और लक्ष्मी मांचू सबसे आगे हैं.