The Diplomat Movie Review: 'द डिप्लोमैट' एक हिंदी फिल्म है जो होली यानी (14 मार्च) को सिनेमाघरों में रिलीज होगी. शिवम नायर द्वारा निर्देशित इस राजनीतिक थ्रिलर में जॉन अब्राहम और सादिया खतीब मुख्य भूमिकाओं में हैं. साथ ही रेवती, कुमुद मिश्रा और शारिब हाशमी भी मुख्य भूमिकाओं में हैं. यह फिल्म जासूसी शैली को एक नया रूप देने के लिए तैयार है, जिसमें भावनाओं और बुद्धि का मिश्रण है.
होली पर रिलीज होगी जॉन अब्राहम की फिल्म 'द डिप्लोमैट'
यह फिल्म उज्मा अहमद की वास्तविक जीवन की कहानी बताती है, जिसे 2017 में पाकिस्तान के बुनेर में उसके पति द्वारा जबरन शादी करने के लिए मजबूर किया गया और उसे बंदी बनाकर रखा गया. 'द डिप्लोमैट' एक राजनीतिक थ्रिलर है जो उजमा अहमद (सादिया खतीब) की वास्तविक जीवन की कहानी से प्रेरित है, जो एक भारतीय महिला है जिसने शादी के लिए मजबूर होने के बाद पाकिस्तान में भारतीय दूतावास में शरण मांगी थी.
यह फिल्म जेपी सिंह (जॉन अब्राहम) नामक एक अनुभवी भारतीय राजनयिक पर आधारित है, जो उज़मा की भारत में सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के खतरनाक पानी में यात्रा करता है.
'द डिप्लोमैट' में क्या खास है?
'द डिप्लोमैट' की सबसे पहली खासियत इसकी कहानी है. फिल्म में अंधराष्ट्रवाद को नजरअंदाज किया गया है शिवम नायर (जिन्होंने इससे पहले नाम शबाना, आहिस्ता आहिस्ता का निर्देशन किया था) ने राजनीतिक ड्रामा को बड़ी सहजता से संभाला है और तनाव को बढ़ाने के लिए खामोशी और संतुलित गति का कुशलता से इस्तेमाल किया है. रितेश शाह (तेहरान, बाटला हाउस, फ़राज़ फेम) द्वारा लिखी गई पटकथा तीखी और आकर्षक है, जिसमें संवाद मेलोड्रामा का सहारा लिए बिना गहराई से गूंजते हैं.
वायलेंट रोल में जॉन अब्राहम ने जीता दिल
कहानी, निर्देशन और पटकथा के साथ, फिल्म में अगली कास्टिंग सही है और एक शक्तिशाली कलाकार को एक साथ लाया गया है. जॉन अब्राहम ने जेपी सिंह के रूप में वाइलेंट लेकिन बेहतरीन परफॉर्म किया है, फिल्म में ऐसे सीन हैं जहां आपको लगेगा कि जॉन किसी चीज या किसी व्यक्ति पर हमला करने के लिए पूरी तरह तैयार है, लेकिन वह अपनी शक्ति के बजाय अपनी बुद्धि का उपयोग करके एक राजनयिक की भूमिका प्रभावशाली ढंग से निभाते है.
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फिल्म में जॉन ने बेहतरीन काम किया है. सादिया खतीब ने उज्मा अहमद के रूप में शानदार अभिनय किया है, जो उनके किरदार में संवेदनशीलता और लचीलापन लेकर आया है. कुछ सीन ऐसे हैं, जिनमें उन्होंने बेहतरीन अभिनय किया है. फिल्म के कई सीन हैं जिनमें उन्होंने दमदार एक्टिंग की है. एक तो जब सादिया को बार-बार उस आदमी द्वारा थप्पड़ मारा जाता है, जिस पर वह भरोसा करती थी और जिसके लिए वह पाकिस्तान आई थी और दूसरा तब जब उसका पहली बार यौन उत्पीड़न होता है और वह पूछताछ के दौरान जॉन के सामने बैठी होती है.
कुमुद मिश्रा अपनी छोटी लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका में शानदार हैं, स्वर्गीय सुषमा स्वराज का किरदार निभाने वाली रेवती अपने किरदार में जंचती हैं और अपने कुछ सीन को बखूबी निभाती हैं. इसके अलावा बम विस्फोट के ठीक बाद का दृश्य जब जॉन का किरदार अफ़गानिस्तान में तैनात होता है, जिस तरह से इसे पेश किया गया है वह आपके रोंगटे खड़े कर देगा.