पापा ने टेबल साफ किया, बोरियां उठाईं, इस स्टार ने खरीद लीं वो सारी जगहें, कमाल की है कहानी
Suniel Shetty: बॉलीवुड के बड़े अभिनेताओं में से एक सुनील शेट्टी कॉमेडियन भारती के शो पर पहुंचे थे. इस दौरान वे अपने पिता के संघर्ष के दिनों को याद कर भावुक हो गए. उन्होंने इस दौरान बताया कि मेरे पिता बेहद विनम्र स्वभाव वाले इंसान थे. वे मात्र 9 साल की उम्र में ही घर से भाग गए थे. उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों में एक रेस्तरां में टेबल पोंछने का काम किया था. वे हमेशा कहते थे कि सब कुछ सह सकते हैं लेकिन नाइंसाफी बिलकुल नहीं.
Suniel Shetty: सुनील शेट्टी बॉलीवुड के बड़े अभिनेताओं में से एक हैं. वह टीवी डांस रिएलिटी शो में बतौर जज की भूमिका में भी नजर आते हैं. इस दौरान वे कॉमेडियन भारती के शो पर पहुंचे जहां उन्होंने अपनी जिंदगी के संघर्ष के बारे में बातचीत की. उन्होंने बताया कि कैसे उनके पिता भागकर मुंबई आए थे. वे उस समय रेस्तरां में टेबल पोछने का काम किया करते थे. वह अपने संघर्ष के दिनों में बोरियों पर सोए. मेरे पिता ने जिन तीन जगहों पर काम किया आज मैं उसका मालिक हूं.
भारती और हर्ष लिंबाचिया के शो पर सुनील ने बताया कि उनके पिता मंगलौर से 9 साल की उम्र में घर से भाग गए थे. उन्होंने कहा कि मेरे पिता की तीन बहनें थीं. पिता के ना होने पर उनकी जिम्मेदारी भी पिता जी पर थी. घर से भागने के बाद उन्हें एक साउथ इंडियन रेस्तरां में काम मिल गया. उन्होंने कहा कि हमारी कम्युनिटी में एक बात है कि हम एक-दूसरे की मदद करते हैं.
सुनील ने बताया कि यहां उनके पिता जी को पहली जॉब मिली जो टेबल साफ करने की थी. चूंकि पिता जी की उम्र कम थी इसलिए पूरी टेबल साफ करने के लिए चार चक्कर लगाने पड़ते थे. इस दौरान वह चावल के बोरे पर भी सो जाते थे.
काम और लगन के कारण बढ़ गया ओहदा
सुनील ने शो में आगे बताया कि पिता की मेहनत और काम के प्रति लगन के कारण उनका ओहदा बढ़ता गया. सुनील शेट्टी ने कहा कि उनके बॉस ने तीन बिल्डिंग्स खरीदीं और उन्हें इनका मैनेजर नियुक्त कर दिया. जब बॉस रिटायर हुए तब मेरे डैड ने उन तीनों बिल्डिंग्स को खरीद लिया. मेरे पास आज भी वह तीनों बिल्डिंग हैं. यहीं से हमारी जर्नी की शुरुआत हुई है.
नाइंसाफी नहीं झेल सकता
सुनील शेट्टी फिल्मों में आने से पहले अपने पिता के साथ केटरिंग का बिजनेस का भी बिजनेस कर चुके हैं. सुनील कहते हैं कि मेरे पिता बेहद विनम्र थे लेकिन बच्चों के खिलाफ कोई कुछ बोल देता था वे शेर बन जाते थे. वे हमेशा एक बात कहते थे सब कुछ बेच डालूंगा, गांव चला जाऊंगा लेकिन नाइंसाफी नहीं झेलूंगा.