कन्नड़ लोक संगीत की प्रतिष्ठित गायिका और पद्मश्री सम्मान से सम्मानित सुकरी बोम्मागौड़ा का गुरुवार तड़के उनके निवास पर निधन हो गया। वह 91 वर्ष की थीं.
सूत्रों के अनुसार, सुकरी बोम्मागौड़ा का स्वास्थ्य पिछले कुछ दिनों से ठीक नहीं था. उन्हें हाल ही में मंगलुरु के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई थी. कर्नाटक के अंकोला क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाली बोम्मागौड़ा हलाक्की वोक्कालिगा जनजाति की थीं और इस समुदाय की सांस्कृतिक पहचान को लोक संगीत के माध्यम से जीवंत बनाए रखा.
सुकरी बोम्मागौड़ा कर्नाटक की पारंपरिक लोक संस्कृति की एक महत्वपूर्ण हस्ती थीं. उन्होंने अपने जीवनकाल में लोक संगीत को लोकप्रिय बनाने और संरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाई. उनके गीतों में पारंपरिक धुनों के साथ-साथ समाज की पीड़ा और संघर्ष भी झलकता था.
उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 2017 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था. इसके अलावा, उन्होंने कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कार भी अपने नाम किए.
उनके निधन की खबर सुनते ही संगीत प्रेमियों और प्रशंसकों के बीच शोक की लहर दौड़ गई. कला और संस्कृति से जुड़े कई प्रसिद्ध व्यक्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. उनका जाना कन्नड़ लोक संगीत के लिए एक अपूरणीय क्षति है, लेकिन उनकी अमूल्य विरासत और संगीत सदैव लोगों के दिलों में जीवित रहेगा.