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India Daily

कम नहीं हो रहीं समय रैना की मुसीबत, इंडियाज गॉट लैटेंट विवाद के बाद अब इस पचड़े में फंसे

सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर कर आरोप लगाया गया है कि समय रैना के कुछ वीडियोज में विकलांगों का मजाक उड़ाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इन वीडियोज पर चिंता व्यक्त की और उन्हें 'परेशान करने वाला' बताया.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Samay Raina

यूट्यूबर और कॉमेडियन समय रैना की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. इंडियाज गॉट लैटेंट विवाद में जांच के घेरे में आए रैना को अब एक और कानूनी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर कर आरोप लगाया गया है कि समय रैना के कुछ वीडियोज में विकलांगों का मजाक उड़ाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इन वीडियोज पर चिंता व्यक्त की और उन्हें 'परेशान करने वाला' बताया.

SMA पीड़ित बच्चे का उड़ाया था मजाक

आवेदक ने दावा किया कि रैना ने अपने दो वीडियोज में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) से पीड़ित मरीजों के इलाज का मजाक उड़ाया गया है, इसके अलावा अंधे और टेढ़ी आंखों वाले व्यक्तियों का भी मजाक उड़ाया गया. आवेदनकर्ता क्योर एसएमए फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है और ऑनलाइन कंटेंट के लिए प्रस्तावित नियामक ढांचे के तहत विकलांग व्यक्तियों के लिए विशिष्ट सुरक्षा शामिल करने का आग्रह किया.

युवराज सिंह, हरभजन सिंह और सुरेश रैना का भी नाम

आवेदक ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए क्रिकेटर युवराज सिंह, हरभजन सिंह और सुरेश रैना से जुड़े वीडियोज को भी दिखाया जिसमें दावा किया गया कि वीडियोज में विकलांग लोगों का मजाक उड़ाया गया. फाउंडेशन ने कहा कि इस तरह के वीडियोज बेहद कम हैं लेकिन इन वीडियोज के कारण विकलागों का मजाक उड़ाने का ट्रेंड चल सकता है. उन्होंने आग कहा कि विकलांग व्यक्तियों को उपहास, दया और सार्वजनिक मनोरंज की वस्तु बना दिया जाता है.

एसएमए रोगी पर की थी टिप्पणी

कथित तौर पर समय रैना के वीडियो में एक दो महीने के एसएमए रोगी पर टिप्पणी की गई थी, इस बीमारी से ग्रसित बच्चे को 16 करोड़ रुपए के जीवन रक्षक इंजेक्शन की जरूरत थी. यह मामला पहले सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद बच्चे को 6 करोड़ रुपए के आयात शुल्क की कटौती कर यह इंजेक्शन दिया गया था. इस इंजेक्शन को क्राउडफंडिंग के माध्यम से उपलब्ध कराया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने आवेदन पर सुनवाई करते हुए कहा कि हम इस तरह की वीडियो को देखकर परेशान हैं.

यह बेहद गंभीर मामला

मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह मामला बहुत गंभीर है. हम इसे देखकर परेशान हैं. हम उन घटनाओं को भी रिकॉर्ड में रखना चाहेंगे. अगर आपके पास वीडियो क्लिपिंग है तो कृपया उन्हें रिकॉर्ड में दर्ज करें और संबंधित व्यक्ति को पक्षकार बनाएं.