'खूबसूरत यादें फीकी नहीं पड़तीं...', ईद पर सायरा बानो को आई दिलीप कुमार की याद, दिग्गज एक्ट्रेस ने शेयर किया अनदेखा वीडियो

ईद के त्योहार पर सायरा बानो ने अपने दिवंगत पति दिलीप कुमार के साथ अपनी कुछ पुरानी यादें ताजा की. दिग्गज एक्ट्रेस ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें उन्होंने ईद के जश्न को याद करते हुए एक दिल को छू लेने वाला मैसेज भी शेयर किया.

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Saira Banu Eid Celebrations: ईद के त्योहार पर सायरा बानो ने अपने दिवंगत पति दिलीप कुमार के साथ अपनी कुछ पुरानी यादें ताजा की. दिग्गज एक्ट्रेस ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें उन्होंने ईद के जश्न को याद करते हुए एक दिल को छू लेने वाला मैसेज भी शेयर किया. उन्होंने याद किया कि ईद पर कैसे उनके घर पर इस त्योहार को सेलिब्रेट किया जाता था. 

ईद पर सायरा बानो को आई दिलीप कुमार की याद

ईद मुबारक! दिग्गज अभिनेत्री सायरा बानो ने ईद के मौके पर एक इमोशनल मैसेज शेयर किया, जिसमें उन्होंने अपने दिवंगत पति और बेहतरीन एक्टर दिलीप कुमार के साथ मनाए गए यादगार जश्न को याद किया. सोशल मीडिया पर उन्होंने दिलीप कुमार के साथ बिताए पलों को दिखाते हुए एक दिल को छू लेने वाला वीडियो पोस्ट किया, साथ ही एक खूबसूरत नोट भी लिखा.

'खूबसूरत यादें फीकी नहीं पड़तीं...'

सायरा बानो ने शादी से पहले और बाद में ईद मनाने को याद किया. सायरा बानो ने याद किया कि कैसे रमजान के पवित्र महीने ने उनके घर को शांति से भरी जगह में बदल दिया. अपने इंस्टाग्राम पर उन्होंने एक वीडियो पोस्ट किया और एक लंबा कैप्शन लिखा, जिसमें उन्होंने खुलासा किया कि दिलीप कुमार से शादी के बाद ही ईद किस तरह मनाई गई.

'घर को फूलों से सजाया जाता था'

उन्होंने लिखा, 'हमारा घर जो सिर्फ हमारा था, वह एक ऐसी जगह बन गया जहां केवल प्यार बना रहता था. सुबह होते-होते घर को फूलों से सजाया जाता था और जैसे ही भोर की पहली किरण आसमान में फैलती, संगीतकारों का एक समूह हमारे दरवाजे पर इकट्ठा होता, उनके ड्रम और बिगुल की धुन पाली हिल में शायद ही किसी की नजर में आती.'

'साहिब इंसानियत में विश्वास करते थे'

सायरा बानो ने अपने पति की दयालुता में गहरी आस्था के बारे में बात की. उन्होंने बताया कि दिलीप कुमार के लिए सच्ची दौलत उस प्यार में थी जिसे वे बांट सकते थे और पा सकते थे. उन्होंने लिखा- 'साहिब का मानना ​​था कि एक व्यक्ति की कीमत उसकी उपलब्धियों में नहीं बल्कि उसके दिलों में होती है जिसे वह छूता है और उन्होंने ऐसा ही किया. किसी भी चीज से ज्यादा, साहिब इंसानियत में विश्वास करते थे.'