Pariksha pe charcha: “पढ़ाई केवल परीक्षा पास करने के लिए नहीं, बल्कि जीवन में सफल होने के लिए करें.” अभिनेता विक्रांत मैसी और भूमि पेडनेकर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वार्षिक कार्यक्रम ‘परीक्षा पे चर्चा’ के विशेष सत्र में छात्रों को यह महत्वपूर्ण संदेश दिया. उन्होंने छात्रों को चुनौतीपूर्ण समय में अपनी ताकत को पहचानने और आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी.
कार्यक्रम के दौरान, दोनों अभिनेताओं ने अपनी स्कूल की यादें साझा कीं और परीक्षा के तनाव, माता-पिता की अपेक्षाओं और आत्मनिर्भरता के महत्व पर खुलकर बात की. विक्रांत मैसी ने बताया, “हम सभी अवचेतन मन से कल्पना करना जानते हैं. दिन में 10 मिनट निकालकर अपनी भावनाओं और लक्ष्यों को एक डायरी में लिखें, इससे आपको अपने उद्देश्य को स्पष्ट करने में मदद मिलेगी.”
#Live: Watch live the 6th episode of #ParikshaPeCharcha with @VikrantMassey and @bhumipednekar on empowering students with creativity and positivity.#ParikshaPeCharcha #PPC2025 #ExamWarrior https://t.co/lMIotTN9Bn
— Ministry of Education (@EduMinOfIndia) February 16, 2025
चुनौतियों में ताकत पहचानने का संदेश
भूमि पेडनेकर ने अपने बचपन का एक कठिन दौर साझा करते हुए कहा, “चुनौतीपूर्ण समय में अपनी क्षमताओं को पहचानें और सीखने के नए तरीके खोजें. जैसे जब भी मुझे कोई सीन दिया जाता है, तो मैं उसे अलग-अलग तरीकों से करने की कोशिश करती हूं.” उन्होंने यह भी बताया कि सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों में भाग लेना उनके लिए हमेशा उत्साहजनक रहा है.
अनुशासन और लक्ष्य की दिशा में मेहनत
भूमि ने कहा, “मैं बहुत अनुशासित छात्रा थी और आज भी हूं. मैं शरारती भी थी, लेकिन शिक्षकों के साथ मेरा रिश्ता बहुत अच्छा था. मैंने बहुत जल्दी यह समझ लिया था कि मुझे अभिनेत्री बनना है. मैं अपने माता-पिता को खुश और गौरवान्वित देखना चाहती थी, इसलिए पढ़ाई में कड़ी मेहनत करती थी.”
माता-पिता की उम्मीदें और आत्मनिर्भरता का महत्व
विक्रांत मैसी ने इस बात पर जोर दिया कि माता-पिता की उम्मीदें जब बोझ बन जाती हैं, तो बच्चे सही तरह से विकसित नहीं हो पाते. उन्होंने कहा, “बच्चों को यह समझना चाहिए कि असफलता जीवन का हिस्सा है और उससे घबराने की बजाय उससे सीखना चाहिए.”
मानसिक स्वास्थ्य और आराम का महत्व
भूमि पेडनेकर ने अच्छी नींद और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने बताया, “परीक्षा के दौरान मैं दिन में एक घंटे का ब्रेक लेती थी. मैं बाहर जाकर खेलती थी, नृत्य करती थी और बैडमिंटन खेलती थी. यह मेरे दिमाग को आराम देने में मदद करता था. अब भी, शूटिंग के दौरान मैं 15 मिनट में लंच खत्म करके आधे घंटे की नींद लेती हूं, जिससे पूरे दिन मन लगाकर काम कर पाती हूं.”
छात्रों को सकारात्मकता और आत्मनिर्भरता का संदेश
‘परीक्षा पे चर्चा’ में विक्रांत और भूमि का संदेश स्पष्ट था, पढ़ाई को केवल परीक्षा पास करने का साधन न समझें, बल्कि इसे अपने जीवन को सफल बनाने का जरिया बनाएं. चुनौतियों का सामना करते हुए आत्मनिर्भर बनें और अपने सपनों को साकार करने के लिए निरंतर मेहनत करें.