Om Prakash Chautala: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला का निधन आज 89 साल की उम्र में हो गया. उन्होंने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अपनी आखिरी सांस ली. चौटाला, जो इनेलो पार्टी के प्रमुख थे, का निधन हरियाणा और देश की राजनीति में एक गहरी शोक की लहर लेकर आया है. हालांकि, उनके जीवन का अंत दुखद था, लेकिन उन्होंने अपने जीवन में ऐसी कई मिसालें छोड़ीं, जो आज भी लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगी.
जब आपके आसपास के लोग रिटायर होकर आराम कर रहे थे तब आप 87 साल की उम्र में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला स्कूल की परीक्षा दे रहे थे. अपने बुढ़ापे में उन्होंने न केवल कक्षा 10 और 12 की परीक्षाएं दीं, बल्कि उन्हें फर्स्ट डिवीजन में पास भी किया.
यह काम एक प्रेरणा से कम नहीं था. ओम प्रकाश चौटाला ने साबित किया कि 'सीखने की कोई उम्र नहीं होती'. उन्होंने यह संदेश दिया कि अगर संकल्प दृढ़ हो, तो उम्र कोई मायने नहीं रखती. उनका यह कदम न सिर्फ उनकी निजी उपलब्धि थी, बल्कि लाखों लोगों के लिए एक प्रेरणा बन गया.
ओम प्रकाश चौटाला की प्रेरक यात्रा पर एक फिल्म भी बन चुकी है, जिसका नाम 'दसवीं' है. इस फिल्म में बॉलीवुड एक्टर अभिषेक बच्चन ने एक ऐसे नेता का किरदार निभाया था, जो भर्ती घोटाले में दोषी पाए जाने के बाद तिहाड़ जेल में अपनी सजा काटते हुए कक्षा 10 की परीक्षा देते हैं. फिल्म में अभिषेक बच्चन और निमरत कौर अहम किरदार में दिखाई दिए थे.
यह फिल्म ओम प्रकाश चौटाला की जीवन यात्रा का ही एक झलक थी, जो दर्शकों को यह संदेश देती है कि कभी भी कुछ नया सीखने के लिए समय और उम्र की सीमा नहीं होती.
ओम प्रकाश चौटाला ने 2019 में अपनी कक्षा 10 की परीक्षा दी थी, लेकिन वे अंग्रेजी का पेपर नहीं दे पाए थे. हालांकि, उन्होंने हार मानने के बजाय 2021 में फिर से इंग्लिश का पेपर दिया और 88 प्रतिशत अंक प्राप्त किए. इसके अलावा, उन्होंने हरियाणा बोर्ड से कक्षा 12 की परीक्षा भी फर्स्ट डिवीजन में पास की.
उनकी यह सफलता न केवल उनके निजी जीवन की एक अहम उपलब्धि थी, बल्कि उन्होंने यह साबित किया कि उम्र के किसी भी पड़ाव पर शिक्षा के लिए समर्पण और मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती.
ओम प्रकाश चौटाला का निधन एक बड़ी राजनीतिक और सामाजिक हार है. उन्होंने राजनीति में कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में उनकी पहल और योगदान निश्चित ही इतिहास में याद रखा जाएगा. उनकी कहानी हर किसी को यह प्रेरणा देती है कि अगर इरादा मजबूत हो तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.