मीणा गणेश ने 8 महीने की प्रेगनेंसी में नहीं छोड़ी एक्टिंग, काम का ऐसा जुनून कि 400 से ज्यादा फिल्मों में निभाए शानदार किरदार

मीना गणेश के लिए अभिनय केवल एक पेशा नहीं था, बल्कि यह उनके जीवन का अहम हिस्सा था. मीना का अभिनय करियर उनके पिता के पी केशवन नायर से प्रेरित था, जिन्होंने एमजी रामचंद्रन जैसे दिग्गजों के साथ फिल्मों में अभिनय किया था. उनका अपने काम के लिए समर्पण कुछ ऐसा था जिसे शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल था.

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Babli Rautela

Meena Ganesh: मीना गणेश के लिए अभिनय केवल एक पेशा नहीं था, बल्कि यह उनके जीवन का अहम हिस्सा था. वह अक्सर कहती थीं कि उनके पिता, पी केशवन नायर, जिनका अभिनय में गहरा जुनून था, का असर उनके जीवन पर गहरा था. जब भी उनसे पूछा जाता कि उन्होंने कितनी फिल्मों या नाटकों में अभिनय किया, तो वह मुस्कुरा देतीं और संख्या नहीं बता पाती थी. मीना का मानना था कि अभिनय केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि जीवन की भावना है. एक समय ऐसा भी था जब उन्होंने एक ही दिन में पांच नाटकों में अभिनय किया और महीनों तक उसी रफ्तार से काम करती रहीं. इस दौरान, उन्होंने 400 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें से कई में उन्होंने अहम किरदार निभाए थे.

अभिनय की दुनिया में कदम

मीना का अभिनय करियर उनके पिता के पी केशवन नायर से प्रेरित था, जिन्होंने एमजी रामचंद्रन जैसे दिग्गजों के साथ फिल्मों में अभिनय किया था. यही वह वातावरण था जिसने मीना को थिएटर की दुनिया से परिचित कराया. उनका नाटक में काम करना जहां उन्होंने 1965 में ए एन गणेश के नाटक 'प्रलयम' में अभिनय किया. यहीं से उनका नाटकीय सफर शुरू हुआ, और यह जुड़ाव धीरे-धीरे प्रेम में बदल गया, जिसके परिणामस्वरूप उनकी शादी हो गई.

शादी के बाद, मीना और गणेश ने शोरनूर में पूर्णिमा कलामंदिर नामक नाटक मंडली की स्थापना की. गणेश नाटक लिखते और डायरेक्ट करते थे, जबकि मीना इन नाटकों में अभिनय करती थीं. यह मंडली सिर्फ एक रचनात्मक इंडस्ट्री से कहीं बढ़कर थी – यह उनके परिवार का एक अनोखा हिस्सा बन गई. हालांकि, वित्तीय समस्याओं के कारण उन्हें यह मंडली बंद करनी पड़ी, लेकिन इसके बावजूद गणेश ने दूसरी मंडलियों के लिए नाटक लिखने का काम जारी रखा और मीना मंच पर अपनी उपस्थिति बनाए रखीं.

आठ महीने प्रेग्नेंट होने पर भी किया काम

मीना का अपने काम के लिए समर्पण कुछ ऐसा था जिसे शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल था. एक जरुरी घटना के रूप में, जब वह आठ महीने की प्रेग्नेंट थीं, तो भी उन्होंने मंच पर एक मुस्लिम महिला का किरदार निभाया. उन्होंने एक बार बताया था कि कैसे वह हर प्रदर्शन से पहले अपने अरंजानम (मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला कमरबंद) को डोरियों से लंबा करती थीं. इस दृढ़ संकल्प को देखकर अक्सर उनके साथी कलाकार भी हैरान रह जाते थे. यह उनके मंच पर अद्भुत समर्पण का प्रतीक था, खासकर जब उन्होंने मुस्लिम किरदारों को लगातार जीने का प्रयास किया.

मीना ने कई नाटक मंडलियों के साथ काम किया, जैसे कि केपीएसी, एसएल पुरम, सूर्या सोमा, चंगनास्सेरी गीता, कोट्टायम नेशनल थिएटर, और अंगमाली पौरनामी. उनके सबसे यादगार योगदानों में से एक 'पांचजन्यम' था, जो ए एन गणेश का लिखा और डायरेक्टेड नाटक था.