Mamta Kulkarni Birthday: ममता कुलकर्णी, एक समय बॉलीवुड की चमकती सितारा हुआ करती थी. आज वही बॉलीवुड एक्ट्रेस आध्यात्मिक पथ पर चलते हुए ‘माई ममता नंद गिरी’ के नाम से जानी जाती हैं. ग्लैमर की दुनिया को अलविदा कहकर उन्होंने किन्नर अखाड़ा के तहत जूना अखाड़े में शामिल होकर महामंडलेश्वर की उपाधि प्राप्त की. पिंडदान जैसे प्रतीकात्मक अनुष्ठान के साथ उन्होंने सांसारिक बंधनों को त्याग दिया. आइए, उनके जीवन, करियर और आध्यात्म की ओर इस प्रेरणादायक यात्रा पर नजर डालें.
1972 में जन्मी ममता कुलकर्णी ने कभी शादी नहीं की. कुछ रिपोर्ट्स में उनके विवाहित होने का दावा भी किया गया. हालांकि, इंडिया अपने एक इंटरव्यू में ममता ने इन अफवाहों को खारिज करते हुए कहा, 'लोगों को किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में नकारात्मक बातें करने से बचना चाहिए जिसके बारे में वे बहुत कम जानते हैं या कुछ भी नहीं जानते. उदाहरण के लिए, ममता कुलकर्णी के विक्की गोस्वामी से शादी करने की अफवाहें पूरी तरह से झूठ हैं - मेरी शादी किसी से नहीं हुई है क्योंकि मेरे पास इसके लिए कभी समय ही नहीं रहा.. '
ममता कुलकर्णी ने 1991 में तमिल फिल्म नानबर्गल से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की, जिसमें उनके साथ नीरज नजर आए. इस फिल्म को बाद में हिंदी में मेरा दिल तेरे लिए के नाम से रीमेक किया गया, जिसने बॉलीवुड में उनकी एंट्री को मजबूत किया. उनकी खूबसूरती और अभिनय ने जल्द ही दर्शकों का दिल जीत लिया.
इसके अलावा उन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों में भी काम किया है जिसमें उनकी तिरंगा, करण अर्जुन, आशिक आवारा, बाजी, कभी तुम कभी हम जैसी सुपरहिट फिल्में भी शामिल हैं.
ममता ने 2003 में बंगाली फिल्म शेष बोंगसोधर में आखिरी बार अभिनय किया. इसके बाद उन्होंने अभिनय की दुनिया को पूरी तरह छोड़ दिया. IANS से बातचीत में उन्होंने अपने फैसले का कारण बताया, 'भारत छोड़ने की वजह आध्यात्म थी. 1996 में उनका झुकाव आध्यात्म की ओर हुआ और उसी दौरान वह गुरु गगन गिरी महाराज से मिली. उनके आने के बाद वह आध्यात्म में आगे बढ़ी और फिर तपस्या शुरू कर की. हालांकि, उनका ये भी मानना है कि बॉलीवुड ने उन्हें नाम और शोहरत दी. लेकिन फिर भी उन्होंने फिल्मी दुनिया छोड़ने का फैसला किया.'
आज ममता कुलकर्णी किन्नर अखाड़ा के तहत आध्यात्मिक जीवन जी रही हैं. महामंडलेश्वर की उपाधि और पिंडदान के साथ उन्होंने सांसारिक जीवन को त्यागकर आध्यात्म को गले लगाया. उनका यह सफर न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सच्ची खुशी आंतरिक शांति में है.