Logout Movie Review: स्मार्टफोन की दुनिया और सोशल मीडिया ने हर किसी को अपने चंगुल में फंसा लिया है. सोशल मीडिया की इस चकाचौंध में उलझी जिंदगी को बयां करती फिल्म लॉगआउट एक ऐसी कहानी है, जो आज के डिजिटल युग की सच्चाई को दिखाती है. बाबिल खान की शानदार अदाकारी और अमित गोलानी के डायरेक्शन के साथ यह फिल्म दर्शकों को एक रोमांचक और मजेदार सफर पर ले जाती है. आइए, इस फिल्म के हर पहलू को करीब से देखें.
लॉगआउट की कहानी प्रत्युष दुआ (बाबिल खान) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर है और अपने 10 मिलियन फॉलोअर्स के सपने को पूरा करने की राह पर है. इस उपलब्धि के साथ उसे एक बड़ी ब्रांड डील मिलने की उम्मीद है. लेकिन एक रात, पार्टी के दौरान उसका स्मार्टफोन चोरी हो जाता है, और यहीं से कहानी एक नया मोड़ लेती है. एक फैन का फोन शुरू में मददगार लगता है, लेकिन जल्द ही यह सस्पेंस और रहस्य का जाल बन जाता है. बाबिल का किरदार कहता है, 'कंटेंट बनाते-बनाते मैं खुद कंटेंट बन गया', और यह लाइन सोशल मीडिया की दुनिया की सच्चाई को बयां करती है.
बाबिल खान ने प्रत्युष के किरदार को बखूबी निभाया है. वह एक इन्फ्लुएंसर की जिंदगी की उलझनों, छोटी-छोटी निराशाओं और व्यक्तित्व को बनाए रखने की चुनौतियों को बेहद सहजता से पेश करते हैं. वह डांस ट्रेंड्स से दूर रहने की अपनी इच्छा को दर्शाते हैं, भले ही उनकी टीम उन्हें फॉलोअर्स की संख्या के लालच में फंसाने की कोशिश करती हो.
रेटिंग: ★★★
कास्ट: बाबिल खान
निर्देशक: अमित गोलानी
लेखक: बिस्वापति सरकार
बिस्वापति सरकार की लिखित लॉगआउट एक सस्पेंस ड्रामा के रूप में शुरू होती है और पहले घंटे में दर्शकों को बांधे रखती है. प्रत्युष का फोन चोरी होने के बाद उसे बंधक बनाए जाने की कहानी रोमांचक है, लेकिन जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, यह दोहराव का शिकार हो जाती है. कहानी का दूसरा हिस्सा कुछ हद तक खिंचता हुआ प्रतीत होता है, जो फिल्म की गति को प्रभावित करता है. इसके अलावा, वीएफएक्स का स्तर भी निराश करता है, खासकर कुछ सीन में जो खिलौने जैसे प्रतीत होते हैं.