Darshanam Mogilaiah Pass Away: किन्नरा के उस्ताद दर्शनम मोगिलैया का निधन, 73 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
तेलंगाना के जाने माने किन्नरा वाद्य यंत्र के उस्ताद दर्शनम मोगिलैया का 73 साल की उम्र में निधन हो गया. दर्शनम मोगिलैया लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे. उनका इलाज एक निजी अस्पताल में चल रहा था.
Darshanam Mogilaiah Pass Away: तेलंगाना के जाने माने किन्नरा वाद्य यंत्र के उस्ताद दर्शनम मोगिलैया का 19 दिसंबर, 2024 को निधन हो गया. उनके निधन से सांस्कृतिक और संगीत जगत में एक गहरी खामोशी छा गई है. दर्शनम मोगिलैया न केवल किन्नरा बजाने में माहिर थे, बल्कि उन्होंने अपनी कला से भारतीय संगीत के आसमान को छुआ है. उनकी कला और अभिनय ने उन्हें एक सम्मानित स्थान दिलवाया, खासकर टॉलीवुड फिल्म बालागम में उनके दिल को छू लेने वाले अभिनय ने लाखों दिलों पर राज किया है.
किन्नरा मोगिलैया: किन्नरा वाद्य यंत्र में महारत
दर्शनम मोगिलैया को किन्नरा मोगिलैया के नाम से भी जाना जाता था. किन्नरा एक प्रकार का तार वाला वाद्य यंत्र है, जो वीणा से मिलता-जुलता है. किन्नरा बजाने में उनकी अनोखी महारत ने उन्हें अपनी विशिष्ट पहचान दी थी. उनके संगीत में ऐसी लय और ताल थी, जो सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर देती थी. मोगिलैया का संगीत भारतीय लोक और शास्त्रीय संगीत दोनों ही क्षेत्रों में बेहद फेमस था, और उन्होंने इस परंपरागत वाद्य यंत्र की विरासत को न केवल संजोया, बल्कि उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया.
किडनी की बीमारी से जूझते हुए निधन
दर्शनम मोगिलैया लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे. उनका इलाज एक निजी अस्पताल में चल रहा था, लेकिन आखिरकार 19 दिसंबर, 2024 को इस महान कलाकार ने इस दुनिया को अलविदा ले लिया. उनके निधन की खबर के बाद पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई. वह उन अंतिम कलाकारों में से एक थे जिन्होंने किन्नरा वाद्य यंत्र की पारंपरिक धारा को बनाए रखा और उसे समृद्ध किया. उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा, खासतौर से लोक संगीत में उनके अद्वितीय योगदान के लिए.
दर्शनम मोगिलैया की विरासत को उनके परिवार के सदस्य आगे बढ़ाएंगे. उनके छोटे बेटे महेंद्र, जो अपने पिता के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों में किन्नरा बजाते थे, अब उनकी कला और संगीत को जीवित रखेंगे. राज्य सरकार ने दर्शनम मोगिलैया के योगदान को मान्यता देते हुए उनके घर के निर्माण के लिए भूमि आवंटित करने का फैसला लिया है, ताकि उनकी सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण किया जा सके.