Karishma Kapoor: बॉलीवुड की अदाकारा करिश्मा कपूर बचपन में अपने दादा और महान फिल्म निर्माता राज कपूर को प्रतिष्ठित आरके स्टूडियो में शूटिंग करते हुए देखकर अपना वीकेंड बिताती थीं. सेट पर जाने की वजह करिश्मा भी फिल्मी दुनिया में आना चाहती थीं. वह अपने दादा राज कपूर को प्रेम रोग की शूटिंग के दौरान पद्मिनी कोल्हापुरी को सीन का दृश्य देखते ही कहती हैं शानदार! उस समय उनकी उम्र महज 7 से 8 साल रही होगी. इसके कुछ सालों बाद उन्होंने अपने दादा से कहा कि वह भी हीरोइन बनना चाहती हैं.
अभिनेत्री के एक्ट्रेस बनने की बात पर राज कपूर कहते हैं कि यह आसान काम नहीं है. क्या तुम इसके लिए तैयार हो? यह फूलों का बिस्तर नहीं है. गुलाब तक पहुंचने के लिए तुम्हें कांटों के रास्ते गुजरना होगा.
दादा राज कपूर के कहे हुए शब्दों ने करिश्मा में और जान फूंक दी. करिश्मा कांटों से भरी राह पर चल पड़ी और तमाम तरह के दिक्कतों को पार करते हुए वह 90 की दशक की बेस्ट हिरोइनों में से एक बन गई. हालांकि, इसके बाद उनका रुतबा कम हो गया. फिल्मी जगत ने उन्हें किनारे करना शुरू कर दिया. करिश्मा ने अपने करियर को लेकर कहा, "मुझे नहीं पता कि हर कोई इस भ्रम में क्यों है. वास्तव में, मेरे पिता अब मुझे प्रोत्साहित करते हैं. वह हमेशा मुझसे कहते हैं, 'कपूर नाम को कम मत होने देना."
करिश्मा का शुरुआती दौर आसान नहीं था. उस दौरान उन्होंने ऐसी फिल्में की जिन फिल्मों को आज के दौर के युवा एक्ट्रेस ठुकरा दें. 90 के दशक की शुरुआत में मसाला फिल्मों की भरमार थी. उस दौर में उन्हें कोई अच्छा रोल नहीं मिल रहा था. उन्हें अच्छे रोल नहीं मिला करते थे.1993 में उन्होंने 4 ड्रामा फिल्में की, जिनमें मुकाबला, संग्राम, शक्तिमान और धनवान शामिल हैं.
करिश्मा ने एक इंटरव्यू में अपनी आंखों को लेकर कहा, "ग्रे, ब्लैक और ब्राउन आंखों के साथ आप किसी भी रंग का लाइनर इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन नीली आंखों के साथ ऐसा नहीं कर सकते. मैं हरे और लाल रंग के कपड़े नहीं पहन सकती. क्योंकि इससे मेरी आंखें हरी दिखाई देती हैं."