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India Daily

'मैं केवल शराब के नशे में था...', राम गोपाल वर्मा ने खुद को लेकर किया चौंकाने वाला खुलासा

फिल्म मेकर राम गोपाल वर्मा ने अपनी फिल्म 'सत्या' को दोबारा देखने के बाद अपनी जर्नी पर खुलकर बात की और स्वीकार किया कि वे इसकी सफलता से नशे में थे.

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Edited By: Antima Pal
filmmaker ram gopal varma
Courtesy: social media

Filmmaker Ram Gopal Varma: फिल्म मेकर राम गोपाल वर्मा की फिल्म 'सत्या' 17 जनवरी को सिनेमाघरों में दोबारा रिलीज हुई है. 27 सालों के बाद अपनी फिल्म को दोबारा देखने वाले फिल्म निर्माता ने एक इमोशनल नोट लिखा, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे वे "सफलता के नशे में चूर" हो गए थे, जिसका असर आने वाले सालों में उनके काम पर पड़ा.

'सत्या' को फिर से देखने के बाद रो पड़े राम गोपाल वर्मा 

सोमवार को राम गोपाल वर्मा ने एक्स पर एक दिल को छू लेने वाला ‘सत्या कबूलनामा’ शेयर किया, जिसमें उन्होंने खुलासा किया कि लगभग तीन दशकों के बाद फिल्म को फिर से देखने पर उनकी आंखों में आंसू आ गए. उन्होंने लिखा, “जब सत्या खत्म होने वाली थी, तो दो दिन पहले 27 साल बाद पहली बार इसे देखते हुए, मेरे गले में दर्द होने लगा और मेरे आंखों से आंसू बहने लगे और मुझे इस बात की परवाह नहीं थी कि कोई देखेगा या नहीं. आंसू सिर्फ़ फिल्म के लिए नहीं थे, बल्कि उसके बाद जो कुछ हुआ उसके लिए थे.”

फिल्म मेकर ने फिल्म बनाने के प्रोसेस की तुलना बच्चे को जन्म देने से की, उन्होंने स्वीकार किया कि निर्माता अक्सर इसके बनाने के दौरान अपने काम के महत्व को पहचानने में विफल रहते हैं. अपने सफर पर विचार करते हुए उन्होंने स्वीकार किया कि वे आने वाले प्रोजोक्ट में इतने बिजी थे कि उन्होंने जो कुछ भी बनाया था उसकी सुंदरता की सराहना करने के लिए शायद ही कभी रुका हो. 

राम गोपाल सत्या की सफलता पर नशे में चूर हो गए

राम गोपाल वर्मा ने सत्या की सफलता के बाद उन लोगों को धोखा देने के बाद अपना रोना भी याद किया, जिन्होंने उन पर भरोसा किया था. उन्होंने लिखा, "सत्या की स्क्रीनिंग के बाद होटल में वापस आकर अंधेरे में बैठे हुए मुझे समझ में नहीं आया कि मैंने इस फिल्म को भविष्य में जो कुछ भी करना चाहिए, उसके लिए बेंचमार्क के रूप में क्यों नहीं बनाया. मैं शराब के नशे में नहीं, बल्कि अपनी सफलता और अहंकार के नशे में था, हालांकि मुझे यह दो दिन पहले तक पता नहीं था."

फिल्म निर्माता ने इस बात पर गहराई से चर्चा की कि सत्या और रंगीला जैसी कई हिट फिल्मों की सफलता ने कैसे अहंकार की वजह से उन्हें नुकसान पहुंचाया. उन्होंने स्वीकार किया कि "फिल्में केवल शॉक वैल्यू, नौटंकी या तकनीकी जादू के लिए बनाई जाती हैं. उन्होंने आगे कहा कि उनके बाद के किसी भी काम में सत्या जैसी ईमानदारी और निष्ठा नहीं थी, जिसे उन्होंने कहानी कहने में ईमानदारी के लिए एक बेंचमार्क बताया.