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Chhaava Review: छावा में विक्की कौशल का जलवा, दिया अपना बेस्ट, लेकिन यहां मार खा गई फिल्म

छावा छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर एक श्रद्धेय और तीव्रता से भरी बायोपिक है. लक्ष्मण उटेकर का डायरेक्शन और विक्की कौशल का शानदार प्रदर्शन फिल्म को एक अलग पहचान देते हैं. हालांकि, बैकग्राउंड स्कोर, संगीत, संपादन और सीन में कुछ खामियां हैं, लेकिन ये फिल्म के मुख्य तत्वों की शक्ति को कम नहीं करते.

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Edited By: Babli Rautela
Chhaava Review
Courtesy: Social Media

Chhaava Review: फिल्म छावा का मुख्य विषय छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र, छत्रपति संभाजी महाराज (विक्की कौशल) के संघर्षमय जीवन पर आधारित है. कहानी की शुरुआत मराठों के बुरहानपुर पर विजय प्राप्त करने से होती है. इसके बाद, फिल्म की दिशा औरंगजेब (अक्षय खन्ना) की साजिशों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो छत्रपति संभाजी महाराज को पकड़कर उन्हें अत्यंत क्रूरता से मौत के घाट उतारने की योजना बनाता है. रश्मिका मंदाना ने महारानी येसुबाई भोंसले का किरदार निभाया है, जबकि दिव्या दत्ता ने राजमाता सोयराबाई भोंसले की भूमिका अदा की है. इसके अलावा, आशुतोष राणे, विनीत कुमार सिंह और डायना पेंटी जैसे कलाकार भी इस फिल्म में दिखाई दिए हैं.

छावा में विक्की कौशल का जलवा

छावा का सबसे मजबूत पक्ष है विक्की कौशल का अभिनय. उनके अभिनय में जो शारीरिक और मानसिक परिवर्तन है, वह इस किरदार को जीवंत करता है. विक्की ने इस रोल को इतना बेहतरीन ढंग से निभाया है कि यह उनके करियर के सबसे प्रभावशाली प्रदर्शनों में से एक बन चुका है. एक्शन सीन में शानदार कोरियोग्राफी और युद्ध के सीन फिल्म को एक महाकाव्य स्तर पर ले जाते हैं. सिनेमैटोग्राफी भी सराहनीय है, जो उस समय की भव्यता और संघर्ष को बेहतरीन तरीके से प्रदर्शित करती है.

लक्ष्मण उटेकर का डायरेक्शन प्रभावी है. उन्होंने न केवल ऐतिहासिक घटनाओं को जीवंत किया है, बल्कि मराठा इतिहास और उनके संघर्ष के प्रति गहरी श्रद्धा भी दर्शाई है. फिल्म का क्लाइमेक्स, जो 50 मिनट तक चलता है, अत्यंत क्रूर और प्रभावशाली है, जो फिल्म को एक मजबूती प्रदान करता है. यह वह कहानी है, जिसे लंबे समय से बड़े पर्दे पर देखने की आवश्यकता थी.

यहां मार खा गई फिल्म

हालांकि छावा में बहुत कुछ अच्छा है, फिर भी इसमें कुछ खामियां हैं. बैकग्राउंड स्कोर कभी-कभी अत्यधिक जोरदार महसूस होता है, जो कहानी की तीव्रता को कम कर सकता है. संगीत भी कमजोर है और स्थायी प्रभाव छोड़ने में नाकामयाब रहता है. संपादन में भी सुधार की आवश्यकता है, क्योंकि कुछ धीमे खंडों को हटाकर फिल्म के प्रवाह को अधिक सुसंगत बनाया जा सकता था. पटकथा में भी वह दम और उत्साह की कमी है, जो कहानी को और भी प्रभावशाली बना सकता था.

रश्मिका मंदाना, जिन्होंने महारानी येसुबाई का किरदार निभाया है, अपने करिश्मे के बावजूद संवाद अदायगी में थोड़ी सी कमी महसूस होती है. कई बार उनकी संवाद अदायगी अभ्यास जैसी लगती है, जो फिल्म की प्रामाणिकता को प्रभावित करती है. इसके अलावा, फिल्म के दृश्य प्रभाव भी उम्मीदों के अनुरूप नहीं हैं.

विक्की कौशल और रश्मिका मंदाना का काम

विक्की कौशल का प्रदर्शन छावा की आत्मा है. उनका शारीरिक परिवर्तन और भावनात्मक गहराई इस भूमिका को प्रामाणिक बनाती है. अक्षय खन्ना ने औरंगजेब के रूप में अत्यधिक डरावनी छवि बनाई है, और हर दृश्य में उनका खलनायक का रूप पूरी तरह से स्थापित होता है. रश्मिका मंदाना, हालांकि आत्मविश्वास से भरी हैं, लेकिन कभी-कभी उनकी संवाद अदायगी स्वाभाविक नहीं लगती. आशुतोष राणा, विनीत कुमार सिंह और डायना पेंटी ने भी अपनी सहायक भूमिकाओं में अच्छा प्रदर्शन किया है, जो फिल्म की गहराई को बढ़ाते हैं.