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भगवान राम को अपना शत्रु चुनना बुद्धिमानी थी... आशुतोष राणा ने रावण की तारीफ में कही ये बात

आशुतोष राणा ने रावण एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है, जहां वह रावण को केवल एक खलनायक के रूप में नहीं, बल्कि एक बुद्धिमान और गहरे व्यक्तित्व के रूप में प्रस्तुत करते हैं. उनका यह विचार कि रावण का शत्रु बनकर वह राम के समान हो सकता है, एक नई सोच को सामने लाता है.

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Ashutosh Rana: आशुतोष राणा, जिनकी हिंदी भाषा में बेहतरीन और प्रभावशाली बातों और उनकी फिल्मों के ग्रे और जटिल किरदारों के लिए जाना जाता है, अब मंच पर एक नया रूप पेश कर रहे हैं. अपने नाटक हमारे राम के साथ, वह रावण के वास्तविक अर्थों में बड़े-से-बड़े खलनायक को प्रस्तुत करते हैं और उसे एक अलग नजरिये से समझने की कोशिश करते हैं. इस नाटक को मुंबई के NMACC में जबरदस्त रिएक्शन मिले थे और अब इसे पूरे देश में प्रदर्शित किया जाएगा.

आशुतोष राणा मानते हैं कि रामायण में प्रस्तुत किए गए मूल्य आज भी उतने ही सही हैं जितने वे युगों पहले थे. उन्होंने द फ्री प्रेस जर्नल से बातचीत में कहा, 'रामायण पूरी समाज के उत्थान के लिए जरुरी है, जबकि गीता (और महाभारत) मुख्य रूप से व्यक्ति के सुधार के लिए है.' वह आगे कहते हैं कि रामराज्य शब्द का आज भी उपयोग किया जाता है जब आदर्श समाज, संस्कृति या जीवन के सिद्धांतों को देखा जाता है. उनके अनुसार, 'हम राम के आचरण को ही नहीं, बल्कि उनके आदर्शों को भी समझना चाहिए.'

आशुतोष राणा ने बताया रावण का महत्व

आशुतोष राणा ने रावण की जटिलता पर अपने गहरे विचार किया. उनका मानना है कि रावण, जो भगवान शिव का भक्त और एक ज्ञानी था, एक बुद्धिमान शत्रु था. रावण के महत्व के बारे में वह कहते हैं, 'रावण एक शत्रु के रूप में खड़ा था, और वही शत्रु आपको अपनी शक्ति और साहस को पहचानने में मदद करता है. रावण ने राम के मुकाबले अपने शत्रु के रूप में राम को चुना, जिससे राम की क्षमता और बहादुरी सामने आई.'

आशुतोष राणा ने रावण की रणनीति पर भी विचार किए उन्होंने कहा, 'रावण इतना बुद्धिमान था कि उसने अपने शत्रु के रूप में राम को चुना. यह उसकी खुद की उच्चता को दर्शाता है. वह जानता था कि अगर उसने एक छोटे शत्रु को चुना तो वह छोटा हो जाएगा, लेकिन राम को शत्रु के रूप में चुनने से उसकी खुद की स्थिति उच्च हो जाएगी.'

नकारात्मक किरदारों पर बोले आशुतोष राणा

आशुतोष राणा ने अपने नकारात्मक किरदारों के बारे में बात करते हुए कहा कि वह किसी भी चरित्र को नकारात्मक रूप में नहीं देखते. 'अगर कोई चरित्र अपने विश्वास से कुछ करता है, तो वह सकारात्मक होता है, भले ही उसके काम का परिणाम कुछ भी हो. मैं इसे सकारात्मक या नकारात्मक के रूप में नहीं देखता, बल्कि इसे एक ऊर्जा के परिवर्तन के रूप में देखता हूं.'

आशुतोष राणा के मुकाबिक, रावण का किरदार उसकी सुंदरता और उसकी गहरी जटिलता पर आधारित है. वह कहते हैं, 'रावण की असली खूबसूरती इस विचार में है कि अगर राम परम ब्रह्मा और सत्य हैं, तो रावण का शत्रु होते हुए भी राम की ऊर्जा को समझना और वह जैसा बनना एक अद्भुत प्रक्रिया है.'