Arun Govil Birthday: कैसे मिला अरुण गोविल को प्रभु राम का किरदार, एक मुस्कान से हर दिल में कर लिया घर
12 जनवरी को अरुण गोविल का जन्मदिन है. इस मौके पर हम उनके जीवन के उस खास पहलू की बात करेंगे, जिसने उन्हें भगवान राम के रूप में अमर कर दिया. उनकी 'राम की मुस्कान' न केवल दर्शकों के दिलों को छू गई, बल्कि उन्हें पूरे देश में एक पहचान दिलाई.
Arun Govil Birthday: भारतीय टेलीविजन इतिहास में अरुण गोविल का नाम एक ऐसे एक्टर के रूप में दर्ज है, जिन्होंने भगवान राम के किरदार को जीवंत कर दिया. 12 जनवरी को अरुण गोविल का जन्मदिन है. इस मौके पर हम उनके जीवन के उस खास पहलू की बात करेंगे, जिसने उन्हें भगवान राम के रूप में अमर कर दिया. उनकी 'राम की मुस्कान' न केवल दर्शकों के दिलों को छू गई, बल्कि उन्हें पूरे देश में एक पहचान दिलाई.
'राम की मुस्कान' का सफर
1987 में रामानंद सागर की डायरेक्टेड पौराणिक सिरियल 'रामायण' का प्रसारण हुआ. इस शो में अरुण गोविल ने भगवान राम का किरदार निभाया. उनका यह किरदार जितना सादगी भरा था, उतना ही प्रभावशाली. उनके व्यक्तित्व की सबसे खास बात थी उनकी मुस्कान, जिसने राम के आदर्श, शांति, प्रेम और करुणा को सशक्त रूप से दर्शाया.
अरुण गोविल ने राजश्री अनप्लग्ड को दिए अपने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि यह मुस्कान उनके किरदार का मुख्य पहलू कैसे बनी. उन्होंने बताया, 'रामायण में भगवान राम का गेटअप करने के बाद भी मुझे लगा कि मैं भगवान राम जैसा नहीं दिख रहा था. तभी राजकुमार बड़जात्या ने मुझसे कहा, 'तुम्हारी मुस्कान बहुत अच्छी है, इसे सही तरीके से इस्तेमाल करना.'
यह सलाह अरुण गोविल के लिए मील का पत्थर साबित हुई. उन्होंने इसे अपने अभिनय में अपनाया और उनकी मुस्कान ने भगवान राम के किरदार को और अधिक प्रभावशाली बना दिया.
राजकुमार बड़जात्या की अहम सलाह
अरुण गोविल ने बताया कि जब वे राम के किरदार के लिए तैयारी कर रहे थे, तब उन्होंने खुद को भगवान राम जैसा दिखने या महसूस करने में अधूरा पाया. तभी फिल्म मेकर राजकुमार बड़जात्या ने उन्हें उनकी मुस्कान के महत्व को समझाया. उन्होंने कहा, 'यह छोटी सी बात मेरे मन में गहराई तक बैठ गई. मैंने अपनी मुस्कान का सही जगह पर उपयोग करना शुरू किया. इसके बाद सब कुछ सहज होता चला गया.'
इस मुस्कान ने न केवल राम के रूप में उनके किरदार को गहराई दी, बल्कि दर्शकों को भगवान राम के व्यक्तित्व का अनुभव भी कराया.
रामायण में अरुण गोविल की मुस्कान भगवान राम के आदर्श, शांति, प्रेम और समर्पण का प्रतीक बन गई. यह मुस्कान न केवल उनके चेहरे पर एक दिव्यता लेकर आई, बल्कि उनके किरदार को अविस्मरणीय बना दिया.
अरुण गोविल की मुस्कान
अरुण गोविल की मुस्कान ने राम के सादगी और करुणा को दर्शाया. उनकी मुस्कान ने किरदार को और अधिक प्रभावशाली और सजीव बना दिया. यह दर्शकों को भगवान राम के आदर्शों के करीब ले आई. रामायण में भगवान राम के रूप में अरुण गोविल को जो ख्याति मिली, वह किसी और के लिए शायद ही संभव हो. यह न केवल उनके अभिनय की सफलता है, बल्कि भारतीय संस्कृति और धर्म में उनकी अमिट छाप है.
अरुण गोविल की यह मुस्कान आज भी उनके फैंस के दिलों में जिंदा है. यह केवल एक एक्टर की मुस्कान नहीं, बल्कि रामायण के आदर्शों का प्रतीक है. 'राम की मुस्कान' वह विरासत है जो पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों को प्रेरित करती रहेगी.
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