जहीर से शादी के बाद भी सोनाक्षी नहीं बदलेंगी अपना धर्म! इंटर रिलिजियस मैरिज पर क्या कहता है देश का कानून?

Indian Rule on Inter religious Marriage: आखिरकार शादी की तारीख आ ही गई. अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा और जहीर इकबाल ने सालों तक अपने रिश्ते को छुपाए रखने के बाद आज शादी कर ली. इस जोड़े ने सोनाक्षी के घर पर एक सिविल समारोह में शादी की, जिसमें केवल उनके परिवार और करीबी दोस्त ही शामिल हुए. सोनाक्षी और जहीर ने अपनी शादी की पहली तस्वीरें भी शेयर कीं. हालांकि इंटर रिलीजियस मैरिज पर देश का कानून क्या कहता है उस पर एक नजर डालते हैं-

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Indian Rule on Inter religious Marriage: अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा और जहीर इकबाल ने रविवार को मुंबई में रजिस्टर्ड मैरिज कर ली और शादी की पहली तस्वीरें शेयर कीं. शत्रुघ्न सिन्हा शादी के जश्न का हिस्सा थे. यह जोड़ा मुंबई के सेलेब-फेवरेट रेस्टोरेंट बैस्टियन में एक पार्टी होस्ट करेगा.

रविवार को जश्न से पहले, जोड़े ने 20 जून को दोस्तों और परिवार के लिए एक इनडोर पार्टी और 21 जून को मेहंदी समारोह का आयोजन किया. पार्टी में सोनाक्षी के माता-पिता शत्रुघ्न सिन्हा और पूनम सिन्हा भी शामिल हुए.

शादी के बाद भी धर्म नहीं बदलेंगी सोनाक्षी सिन्हा

सोनाक्षी सिन्हा और उनके पति जहीर इकबाल ने शादी की तस्वीरें शेयर करते हुए इंस्टाग्राम पर कमेंट्स बंद कर दिए हैं. दोनों को अपनी अंतरधार्मिक शादी की घोषणा के बाद से ही काफी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ रहा है. इस बीच, शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी बेटी के उस आदमी को चुनने के अधिकार का बचाव किया है जिसके साथ वह अपना जीवन बिताना चाहती है. 

हालांकि सोनाक्षी सिन्हा ने साफ किया है कि उनकी शादी धर्म में कोई बदलाव किए बगैर हो रही है, जिसके बाद स्वाभाविक रूप से, यह सवाल उठता है कि क्या भारतीय संविधान बिना किसी धर्म परिवर्तन के दो लोगों की शादी को कानूनी मान्यता देता है.

धर्म से जुड़े हैं ज्यादातर शादी के कानून

भारतीय शादी कानून काफी मुश्किल है और इसे व्यक्ति के धर्म द्वारा नियंत्रित किया जाता है. हिंदू शादी अधिनियम, मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरिया) एप्लिकेशन एक्ट, 1937, ईसाई शादी अधिनियम आदि जैसे विभिन्न धार्मिक समुदायों के लिए अलग-अलग व्यक्तिगत कानून हैं.

ये कानून शादी की वैधता, शर्तों और प्रक्रियाओं को निर्धारित करते हैं. उदाहरण के लिए, हिंदू शादी अधिनियम के तहत शादी को हिंदू धर्म के संस्कारों के अनुसार संपन्न होना आवश्यक है.

बिना धर्म बदले भी शादी करने की है इजाजत

हालांकि, धार्मिक कानूनों के जाल के अलावा, भारत में एक सेक्युलर कानून भी मौजूद है, जिसे स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 के नाम से जाना जाता है. यह अधिनियम उन लोगों को एक महत्वपूर्ण विकल्प प्रदान करता है जो धर्म परिवर्तन की मुश्किलताओं से बचना चाहते हैं या अपने धर्म से इतर किसी व्यक्ति से शादी करना चाहते हैं.

इस अधिनियम के तहत, कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी धर्म का अनुयायी हो, बिना किसी धार्मिक अनुष्ठान के शादी कर सकता है. स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत संपन्न शादी को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है.

स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत वैलिड होती है शादी

इस तरह से भारतीय संविधान स्पष्ट रूप से धर्म परिवर्तन के बिना शादी को मान्यता देता है, खासकर विशेष शादी अधिनियम, 1954 के माध्यम से. यह कानून उन जोड़ों के लिए एक वरदान है जो एक धर्मनिरपेक्ष समारोह के माध्यम से शादी करना चाहते हैं या अपने धर्म से अलग धर्म के व्यक्ति से शादी करना चाहते हैं.

हालांकि, विशेष शादी अधिनियम के अस्तित्व के बावजूद, भारत में अंतर-धार्मिक शादी सामाजिक और पारिवारिक दबावों का सामना कर सकते हैं. कुछ रूढ़िवादी समुदाय ऐसे शादीों को सामाजिक मान्यता नहीं दे सकते हैं. वहीं, कुछ धार्मिक नेता भी ऐसे शादीों का विरोध कर सकते हैं.

इसके अतिरिक्त, स्पेशल मैरिज एक्ट की प्रक्रियाओं को मुश्किल माना जाता है, जिससे जोड़े अक्सर शादी के लिए अपने धार्मिक रीति-रिवाजों का ही सहारा लेना पसंद करते हैं.